Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 791
________________ ७७८ गुणसूरि ऋषभदेवजी छ'द ले.स. १९९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २४.३४११.५ ...से.मि. पद्य ८. ___ कर्ता-आगला गुणसागरसूरि होवानी शकयता छे. नक्की नथी. प्र.स./६१२६ परि./२५१०६ जयचंद्रसूरि बरडा क्षेत्रपाल छ'द ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २२४11 से.मि कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. अ.111१७ परि./५३७/२ साविककसूरि (आ.) नमस्कार छद ले.स. १८४३; हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २३४१२ से.मि. गाथा १२. कर्ता--आगमगच्छमां थया छे. (गा. ११). प्र.स./६१२८ . परि.५०९/२ जिनहरख (जिनहर्ष) श्रावक करणी छंद ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र १० थी ११; २६.२४१२.२ से.मि, पद्य २१.. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्रस./६१२९ परि./२२३४/९ देदो कवि भांगी छद ले.सं. १८०२; हाथकागळ पत्र ३ थी ४, २५४१०.८ से.मि. पद्य २६.. कर्ता--वि.स. १६५० लगभगमां थयेला होवानुं अनुमान छे जेनेतर छे. (जै.गू. क. भा. ३. खं. २, पृ. २१६२-६३). आ रचना जै. गू, क.मां नेांधायेली नथी.. प्र.स./६१३० परि./६४६८ धनराज वीसइत्थी छ'द ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २० थी २१,२४४१२.८ से मि. गाथा ११. ____ कर्ता--गु. हा.स. या. मां पृ. ७४ मां नेांधायेला छे. गै. सा इति. पृ. ५८१ फ. ८५१; पृ. ६०१-फ. ८८८मां पण नांधायेला छे. त्रणमाथी कोण मे नक्की नथी थतु. अस/६१३१ परि./२७०६/१२ धर्मसी (ख) १--गोडीचा छंद ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २५x ११.३ से.मि. पद्य १९+६=२५. कर्ता--खरतरगच्छमां जिनभद्रसूरिनी परंपराना विजयहष ना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८मी सदीनो छे. (जे. गू, क. भा. ३. ख. २, पृ. १३१२) जुंडानगरमां नरेन्द्र विजय मुनिमे प्रति लखी. प्र.सं/६१३२ परि./३९५१/५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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