Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 783
________________ ७७० अज्ञातकर्तृक गंगाजीनो गरबो ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु १९४११०८ से.मि. पद्य १२. परि०/८१३१/४ प्र.सौं / ६०६५ गहुंली भावमुनि - भावप्रभ- भावरत्न (पौ . ) महिमाप्रभसूरि गहुँली ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.५x१०.८ से.मि. कर्ता — पूर्णिमागच्छमां ढँढेर शाखाना विनयप्रभसूरिनी परंपरामां महिमाप्रभसूरिना शिष्य छे. ओमनो समय वि.सं. १८मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १४२४; भा. २, पृ. ५०३). आ रचना जे. गू. क.मां नांधायेली नथी. प्र.सं./६०६६ परि./६५१७ गहुली रंगविजय (त.) विजयजिनेन्द्रसूरि गहुँली ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र १२; २५४११ से.मि. पद्य ७. कर्ता - तपगच्छमां विजयदेव मुनिगी परंपराना अमृतविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स ं. १८मा सदीनो छे (जै. गू क. भा. २, पृ. ५५२ ) आ रचना जै. गू. क.मां नांधायेली नथो. प्र.स ं./६०६७ परि. / ७९१६/२३ लक्ष्मीन गहुँली ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५०५४११-२ से.मि. पद्य ६. कर्ता — मात्र नामनिर्देश मळे छे, प्रति जीर्ण छे. परि. / ४१६७/५ प्र.स ं./६०६८ वीरविजय ( त . ) अट्ठावीस लब्धि गहुली ले.स. ६९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र जु; २८x१२ से.मि. पद्य ९. कर्ता तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपराना शुभविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मी सदीना छे (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. २०९). प्र. स. / ६०६९ परि. / ७२७६/८ गुहली (१) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ७ थी ८; २८x१२ से.मि. अनुक्रमे पद्य ९ ५; ६. परि./७२७६/२३:२४:२५ प्र.सं./६०७० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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