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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ
अनेक मित्र राजाओं को स्वर्णगिरिके यात्रासंघ में सम्मिलित होनेका निमन्त्रण दिया । यथासमय विशाल यात्रासंघ लेकर राजा श्रीदत्त वहाँसे चला ।
जब यात्रासंघ स्वर्णगिरि पहुँचा, उस समय भगवान् चन्दप्रभका समवसरण वहाँपर ही विराजमान था। राजा श्रीदत्त तथा अन्य यात्रियोंको भगवान्का दर्शन करके अत्यन्त हषं हुआ । सबने भगवान्के दर्शन किये, पूजन- स्तुति की और उनका दिव्य उपदेश सुना । उपदेश सुनकर अनेक लोगोंने वहीं मुनिदीक्षा ग्रहण कर ली ।
एक बार मुनि नंग-अनंग कुमार अनेक मुनियोंके साथ विहार करते हुए पुनः स्वर्णगिरिपर पधारे। सभी मुनि वहीं पर उग्र तप करने लगे । तप करते हुए वहाँपर मुनि नंगसेन, मुनि अनंगसेन आदि अनेक मुनियोंको केवलज्ञान उत्पन्न हो गया और कुछ समय पश्चात् इसी पवित्र पर्वतसे अनेक मुनियोंको निर्वाण प्राप्त हुआ ।
इन मुनियोंके निर्वाणका समाचार सुनकर श्रीदत्तके पुत्र सुवर्णभद्रने भी अपने पिताकी तरह एक विशाल यात्रासंघ स्वर्णगिरि की यात्राके लिए निकाला । इस यात्रासंघ में मुनि, अर्जिका, श्रावक और श्राविका थे, अनेक देशोंके राजा थे और हजारों धार्मिक स्त्री-पुरुष सम्मिलित थे । यह यात्रासंघ सानन्द यात्रा करके वापस आया । कुछ समय पश्चात् सुवर्णभद्रको भी संसारसे वैराग्य हो गया और उसने मुनिव्रत अंगीकार कर लिया। उन्होंने स्वर्णगिरिपर तपस्या करके पाँच हजार मुनियोंके साथ मुक्ति प्राप्त की ।
इस प्रकार नंग, अनंग, चिन्तागति, पूर्णचन्द्र, अशोकसेन, श्रीदत्त, सुवर्णसेन आदि अनेक मुनियोंकी निर्वाण-भूमि होनेके कारण यह क्षेत्र निर्वाण-क्षेत्र माना जाता है ।
क्षेत्र-दर्शन
सोनागिरि क्षेत्र के लिए ग्वालियरसे सीधी बस सेवा चालू है । यह बस क्षेत्रके फाटक के बाहर उतारती है । जो लोग ग्वालियर-सोनागिरि बस सेवासे न जा सकें, वे ग्वालियर - दतिया आदि बसों द्वारा सोनागिरिके मोड़पर उतर जायें । वहाँसे क्षेत्र केवल ४ कि. मी. है। इसी प्रकार जो ट्रेनसे सोनागिरि स्टेशनपर उतरते हैं, उन्हें क्षेत्र ५ कि. मी. दूर पड़ता है । दोनों ही स्थानों पर, स्टेशन तथा मोड़पर ताँगे मिलते हैं। उनके द्वारा भी क्षेत्र तक जा सकते हैं ।
क्षेत्रके सदर फाटकमें घुसते ही तलहटीके मन्दिरों और धर्मशालाओंका क्रम प्रारम्भ हो जाता है । तलहटी में कुल १७ मन्दिर और ५ छतरी हैं । यहाँ कुल १५ धर्मशालाएँ हैं । यह क्षेत्र दिगम्बर जैन समाज के आधिपत्य में है । इस क्षेत्रपर किसी अन्य सम्प्रदाय या धर्मवालोंका किसी प्रकारका विवाद नहीं है, अर्थात् यह शुद्ध दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र है । किन्तु यहाँके तलहटीके सभी मन्दिरों और धर्मशालाओंकी व्यवस्था एक प्रबन्धक समितिके अन्तर्गत नहीं है, सबकी व्यवस्था भिन्न-भिन्न है, जबकि पहाड़के ऊपर जो ७७ मन्दिर, १३ छतरियाँ और ५ क्षेत्रपालके स्थान हैं, उन सबकी व्यवस्था 'श्री दिगम्बर जैन सोनागिरि सिद्धक्षेत्र संरक्षिणी कमेटी' के अधीन है। धर्मशालाओं की व्यवस्था पृथक् होनेपर भी कोई भी यात्री इच्छानुसार किसी भी धर्मशाला में ठहर सकता है । क्षेत्र कमेटीका कार्यालय दिल्लीवाले मन्दिरमें है ।
तलहटीके मन्दिरोंका निर्माण जिस समाज अथवा महानुभावोंने कराया है, उनके नाम इस प्रकार हैं :
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