Book Title: Bharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Author(s): Balbhadra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 378
________________ चित्र-सूची १. चेदि जनपद १८. थूबौन-पुरानी थूबौनके जंगलमें एक भग्न १. सिहौनिया-भगवान् शान्तिनाथको १३ फुट जिनालय। उन्नत मूर्ति, भूगर्भसे प्राप्त । पाश्वोंमें भगवान् १९. चन्देरी-बूढी चन्देरीसे प्राप्त भगवान् महावीर. कुन्थुनाथ और अरनाथ। समय १०वीं शताब्दी। की भव्य मति । २. ग्वालियर-एक पत्थरकी बावड़ी (किले ) में २०. खन्दार-बाहुबली स्वामीकी एक अद्भुत ____एक विशाल तीर्थकर-मूर्ति । ____प्रतिमा, जिसके ऊपर सर्प, छिपकली, चूहे आदि ३. ग्वालियर-किलेमें सास-बहूका अत्यन्त कलापूर्ण का अंकन करके अविचल ध्यान मुद्रा प्रदर्शित ... बल मन्दिर। । की है। ४. ग्वालियर-सरकारी संग्रहालय (गूजरी महल) २१. पपौरा-मुख्य द्वारके ऊपर निर्मित जिनालय जो . में एक मध्यकालीन भव्य तीर्थकर-मूर्ति। .. रथाकार है। ५. सोनागिरि-भगवान् चन्द्रप्रमका विख्यात २२. पपौरा-मन्दिरोंकी अद्भुत चौबीसी। 'मन्दिर। २३. अहार-भगवान् शान्तिनाथका विशाल मन्दिर। ६. सोनागिरि-भगवान् चन्द्रप्रभकी भव्य प्रतिमा । २४. अहार-भगवान् शान्तिनाथकी भव्य प्रतिमा । ७. सोनागिरि-मन्दिर नं. ५७ के सामने समवसरण २५. खजुराहो-पार्श्वनाथ मन्दिरका बाह्य दृश्य । रचनाकी एक झांकी। - इसका शिल्प-सौन्दर्य अनुपम है। ८ सोनागिरि-मनहरदेव (चैतनाथ) के शान्तिनाथ २६. खजुराहो-शान्तिनाथ मन्दिरमें भगवान् ... स्वामीकी १४ फुट उत्तुंग खड्गासन मूर्ति। शान्तिनाथकी विशाल खड्गासन प्रतिमा। ९. पनिहार-भोयरे में अति मनोज्ञ तीर्थकर-मूर्तियां। २७. खजुराहो-शान्तिनाथ मन्दिरमें यक्ष-दम्पती। १०. बरई-एक उपेक्षित प्राचीन जिनालयका २८. खजुराहो-नृत्य करती हुई नीलांजना। कलापूर्ण प्रवेशद्वार। २९. खजुराहो-कांटा निकालती हुई एक सुरसुन्दरी११. गोळाकोट-एक मनोज्ञ तीर्थंकर प्रतिमा ।। ___ का मोहक रूप। १२. पचराई-जिनालयोंकी मनोहर झांकी। ३०. पन्ना-तीर्थंकर महावीर। समय-छठी शताब्दी। १३. बजरंगढ़-क्षेत्रका बाह्य दृश्य । ३१. द्रोणगिरि-निर्वाण-गुफा, जहाँसे मुनिराज १४. बजरंगढ़-एक द्वार आकृतिमें चौबीसी। मध्यमें गुरुदत्तको निर्वाण हुआ। ... भगवान् नेमिनाथ । समय १२वीं शताब्दी। ३२. द्रोणगिरि-पर्वतपर जिनालयोंका मनोरम दृश्य। १५. बबीन-मलनायक भगवान बादिनाथका ३३. नैनागिरि-जल मन्दिरका मनोरम दृश्य । । .. मन्दिर (नं. १५)। ३४. नैनागिरि-पर्वतपर अहातेके अन्दर बने हुए १६. थूबौन-पाड़ाशाह द्वारा निर्मित भगवान् जिनालयोंका भव्य दृश्य। शान्तिमायका मन्दिर (नं. ५)। ३५. पजनारी-मूलनायक भगवान् शान्तिनाथ । १७. थबौन-भगवान् शान्तिनाथका मन्दिर (मं. उनके दोनों पावों में भगवान् कुन्थनाथ और २२) तथा सामने ३० फुट ऊँचा मानस्तम्भ । भगवान् अरनाथ । ३-४४

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