Book Title: Bharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Author(s): Balbhadra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 379
________________ भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ ३६. बीना बारहा-भगवान् आदिनाथकी १३ फुट ५४. पठारी-वन-मन्दिरकी भव्य झांकी। ऊंची पदमासन प्रतिमा। यह इंट-गारेसे ५५. ग्यारसपुर-मालादेवीके विख्यात मन्दिरका निर्मित है। बाह्य दृश्य। ३७. बीना बारहा-गन्धकुटी मन्दिर । मन्दिरमें ५६. ग्यारसपुर-बज्रमठकी कलापूर्ण शिखर-संयोजना। पहुँचने के लिए चारों दिशाओंमें सीढ़ियां बनी ५७. ग्यारसपुर-बज्रमठमें एक वेदीपर प्राचीन तीर्थकर मूर्तियाँ । ३८. पटनागंज-भगवान् महावीरकी साढ़े तेरह फुट ४. मालव-अवन्ती जनपद उत्तुंग अतिशयसम्पन्न पद्मासन प्रतिमा। इन्हें ५८. मक्सी-मूलनायक भगवान् पार्श्वनाथकी 'बड़े देव' भी कहते हैं। __अतिशयसम्पन्न प्रतिमा। ३९-४०. पटनागंज-पार्श्वनाथ तीर्थकरकी सहस्र- ५९. उज्जैन-लकड़ीके एक चौकोर फ्रेममें पीतलकी फणावली युक्त दो अद्भुत मूर्तियाँ। ५४-५४ प्रतिमाएँ चारों दिशामें । २. सुकोशल जनपद ६०. उज्जैन-भूगर्भसे प्राप्त एक फलकमें साधु ४१. कुण्डलपुर-भगवान् ऋषभदेवकी साढ़े बारह परमेष्ठीकी प्रतिमाएँ हाथोंमें कमण्डलु-पीछी फुट ऊँची सातिशय पद्मासन प्रतिमा। इसे 'बड़े और माला है। बाबा' भी कहते हैं ६१. गन्धर्वपुरी-भगवान् ऋषभदेवकी १२ फुट ४२. कुण्डलपुर-'बड़े बाबा' के पीठासनपर ऊँची मूर्ति । ऋषभदेवका यक्ष गोमुख । ६२. चूलगिरि-विश्वकी सबसे विशाल प्रतिमा । ४३. कुण्डलपुर-'बड़े बाबा' के पीठासनपर ऋषभ- भगवान् ऋषभदेवको यह प्रति ८२ फुट ऊंची देवकी यक्षी चक्रेश्वरी। है। जनतामें यह 'बावनगजाजी' के नामसे ४४. कुण्डलपुर-अन्तिम अननुबद्ध केवली श्रीधर प्रसिद्ध है। स्वामीके चरण-चिह्न। ६३. चूलगिरि-मुनिराज इन्द्रजीत, कुम्भकर्ण आदि. ४५. कुण्डलपुर-वर्धमानसागर ( सरोवर ) के तट- के चरण । यहीसे उन्होंने मुक्ति प्राप्त की थी। पर स्थित जिनालयोंकी भव्य झांकी। ६४. तालनपुर-क्षेत्रका बाह्य दृश्य । ४६. लखनादौन-भूगर्भसे प्राप्त भगवान महावीरकी ६५. पावागिरि-ग्वालेश्वर मन्दिर, समय १२वीं मध्यकालीन मनोज्ञ प्रतिमा। शताब्दी। ४७. मढ़िया (जबलपुर)-क्षेत्रका एक विहंगम दृश्य। ६६. पावागिरि-चौबारा डेरा नं. १, समय १२वीं ४८. कोनी-कलापूर्ण सहस्रकूट जिनालय। शताब्दी। ४९. पनागर-भगवान् ऋषभदेवकी सातिशय ६७. पावागिरि-धर्मशालाके मन्दिर में मूलनायक प्रतिमा। भगवान् महावीरकी आकर्षक प्रतिमा। समय ५०. बहोरीबन्द-शान्तिनाथ भगवान्की मूलनायक विक्रम संवत् १२५२ । प्रतिमा । जनतामें यह 'खनुदेव' के नामसे ६८. सिद्धवरकूट-क्षेत्रके मन्दिरोंकी एक झलक । प्रसिद्ध है। ६९. सिद्धवरकूट-कावेरीके तटवर्ती जंगलमें प्राचीन ३. देशार्ण-विदर्भ जनपद मन्दिरोंके भग्नावशेषोंके मध्य ५ फुट ऊंची एक ५१. उदयगिरि(विदिशा)-गुप्तकालीन गुहा-मन्दिर। अलंकृत प्रतिमा। शीर्ष भागपर तीर्थंकर ५२. उदयगिरि-गुफा नं. २० में दीवालपर गुप्त- प्रतिमा है। ___कालीन अभिलेख। ७०. बनैड़िया-क्षेत्रका विशाल प्रवेश-द्वार। ५३. पठारी-गडरमल मन्दिरका भव्य शिखर । ७१. बनड़िया-मन्दिरकी एक वेदीका दृश्य।..

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