Book Title: Bharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Author(s): Balbhadra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 416
________________ चरन चिन: श्रीधरकेवली श्रीभगवान महावास्ताकारक सुमारारण में स्थित ७०० कुवलया म अंतिम अनदबई देवलीश्रीश्रीपर (स्वामी की निर्माण भूमि स्थल पुरु प्रमाण -१ कुंडलॉगरिम परिगी केवलणी सिरिधरा सिद्ध।।१४० -तिलोययत्ति गंथ। २. इस छत्री स्थापित कृष्ण पाषाण कउनके प्राचान चरण जिन पर लिखा है। कडलागरी श्री श्रीधर स्वामी ४४. कुण्डलपुर - अन्तिम अननुबद्ध केवली श्रीधर स्वामी के चरण-चिह्न |

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