Book Title: Bharat ke Digambar Jain Tirth Part 3
Author(s): Balbhadra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 370
________________ परिशिष्ट-१ ३३७ यहाँका पता इस भांति है-मन्त्री, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, पटनागंज, पो. रहली (जिला सागर ) म. प्र.। कुण्डलपुर रहलीसे गढ़ाकोटा होते हुए दमोह जाना चाहिए। यह लगभग ७० कि. मी. है। दमोहसे ३५ कि. मी. पटेरा है और वहाँसे ३ कि. मी. कुण्डलपुर है। सड़क पक्की है। यह अतिशय क्षेत्र है। कुछ समयसे इसे अन्तिम अननुबद्ध केवलो श्रीधरको निर्वाण-भूमि होनेके कारण सिद्धक्षेत्र बताया जा रहा है। यहाँ पहाड़ी और तलहटीपर मन्दिरोंकी कुल संख्या ६१ है तथा एक मानस्तम्भ है । पहाड़ीपर मन्दिर नं. ११ मुख्य मन्दिर कहलाता है। यह बड़े बाबाका मन्दिर कहा जाता है। मूलनायक भगवान् आदिनाथकी प्रतिमा साढ़े बारह फुट ऊंची और पद्मासनस्थ है। इस प्रतिमाके अतिशयोंके सम्बन्धमें बहुत किंवदन्तियां प्रचलित हैं। कहते हैं महाराज छत्रसालने मनौती मनायी थी और वह पूरी हो गयी। फलतः उन्होंने बड़े बाबाके पूजनके लिए बरतन और भारी घण्टा चढ़ाये और वर्धमान सरोवरपर पक्के घाट बनवाये। क्षेत्रपर धर्मशालाएँ हैं, बिजली है तथा जलके लिए विशाल सरोवर, बावड़ी और कुएं हैं। यहाँका वार्षिक मेला माघ सुदी ११ से १५ तक होता है। महावीर-जयन्ती और दीपावलीपर भी मेले भरते हैं। यहांका पता इस भांति है-मन्त्री, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, कुण्डलपुर ( दमोह ) म.प्र.। लखनादौन दमोह आकर वहाँसे जबलपुर जाना चाहिए। जबलपुरसे सिवनी जानेवाले मार्गपर ८३ कि. मी. लखनादौन है । नगरमें श्री दिगम्बर जैन महावीर मन्दिर है। इसमें भगवान महावीरको भूगर्भसे प्राप्त पद्मासन प्रतिमा सातिशय और अत्यन्त मनोज्ञ है। इस प्रतिमाके कारण ही इस मन्दिरको विशेष ख्याति प्राप्त हुई है। यहां जैन धर्मशाला है, जिसमें नल, बिजली आदिकी सुविधा है। पता है-मन्त्री, श्री महावीर दिगम्बर जैन मन्दिर, लखनादौन ( सिवनी ) म. प्र. । जबलपुर __लखनादौनसे वापस जबलपुर लौटकर बावें। जबलपुर जैनोंका प्रमुख केन्द्र है। यहाँ ४६ दिगम्बर जैन मन्दिर हैं। लार्डगंज, हनुमानताल आदिमें जैन धर्मशालाएं हैं। हनुमानतालके बड़े मन्दिरमें अत्यन्त कलापूर्ण और मनोज्ञ मूर्तियाँ हैं। शहरसे पश्चिम दिशामें ९ कि. मी. दूर त्रिपुरी (वर्तमान नाम तेवर ) है। इसके निकट मार्बलकी चट्टानें और नर्मदाका विश्वविख्यात धुआंधार प्रपात है। यहींपर नर्मदाके दोनों ओर संगमरमरकी वे चट्टानें हैं जिन्हें बन्दर-कूदनी कहते हैं। यात्री नाव द्वारा इन स्थानोंको देखने जाते हैं। वहाँसे लौटते हुए मार्गमें चौंसठ योगिनियोंका मन्दिर मिलता है। यह भी दर्शनीय है। इन दर्शनीय स्थानोंके लिए बस और टैम्पो चलते हैं । मढ़िया जबलपुर-नागपुर रोडपर जबलपुर नगरसे ६ कि. मी. दूर मेडिकल कालेजके सामने 'पिसनहारीकी मढ़िया' नामक अतिशय-क्षेत्र है। सड़क किनारे धर्मशाला है तथा महावीर ३-४३

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