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मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थ
१९७ १९. महावीर मन्दिर-महावीर स्वामीकी यह पद्मासन प्रतिमा कृष्ण पाषाणको बनी हुई है।
२०. चन्द्रप्रभ मन्दिर-यह श्वेतवर्ण प्रतिमा है।
२१. आदिनाथ मन्दिर-भगवान् ऋषभदेवकी कृष्ण पाषाणकी यह ४ फुट ५ इंच उन्नत पद्मासन प्रतिमा है । इस मूर्तिके ऊपर कोई लेख नहीं है।
२२. पुष्पदन्त मन्दिर-यह प्रतिमा २ फुट ४ इंच अवगाहनावाली है। यह श्वेतवर्ण और पद्मासन है तथा संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित हुई है। बायीं ओर पद्मावती देवीकी मूर्ति है तथा दायीं ओर आदिनाथको प्रतिमा विराजमान है।
२३-चन्द्रप्रभ मन्दिर-भगवान् चन्द्रप्रभको यह प्रतिमा सलेटी वर्णकी है। इसका आकार ९ इंचका है, पद्मासन है और संवत् १८८१ को प्रतिष्ठित है। यह मन्दिर पिसनहारीकी मढ़िया कहलाती है।
२४. पार्श्वनाथ मन्दिर-संवत् १८७० में प्रतिष्ठित और २ फुट ९ इंच उन्नत पाश्वनाथकी यह प्रतिमा पद्मासन है और सलेटी वर्णकी है।
२५. सुमतिनाथ मन्दिर-यह मूर्ति १ फुट ३ इंच ऊंची है, श्वेत पाषाणकी है और पद्मासन है। इसका प्रतिष्ठा-संवत् १७९४ है । इधर-उधर दो देवियाँ हैं। उनमें पार्श्वनाथ भगवान् विराजमान हैं। इनमें एक मूर्तिपर प्रतिष्ठा-काल संवत् १२५७ माघ सुदी १५ सोमवार उत्कीर्ण है।
२६. पाश्वनाथ मन्दिर-पाश्वनाथकी कृष्ण पाषाणको प्रतिमा पद्मासन है और इसकी अवगाहना ३ फुट २ इंच है। इसके पीठासनपर कोई लेख नहीं है । बायीं ओर सम्भवनाथ विराजमान हैं। ये कृष्णवर्ण हैं । अवगाहना ५ फुट ७ इंच है । ये कायोत्सर्गासनमें हैं।
मन्दिरके बाहर एक कमरे में क्षेत्रपाल विराजमान हैं।
२७. पार्श्वनाथ मन्दिर-पार्श्वनाथकी यह पद्मासन प्रतिमा कृष्ण वर्णकी है और १ फुट २ इंच ऊँची है । इसकी चरण-चौकीपर कोई लेख नहीं है। इधर-उधर दो वेदियां और हैं जिनमें श्वेत वर्णके आदिनाथ विराजमान हैं।
२८. पार्श्वनाथ मन्दिर-पार्श्वनाथकी यह श्वेतवर्ण प्रतिमा पद्मासन है। यह संवत् १८१३ में प्रतिष्ठित हुई है और इसकी अवगाहना १ फुट ७ इंच है। एक अन्य वेदीमें पद्मप्रभ विराजमान हैं। ये श्वेत वर्णके हैं और पद्मासन हैं। ऊंचाई ११ इंच है और संवत् १५४८ प्रतिष्ठाकाल है।
२९. चन्द्रप्रभ मन्दिर-चन्द्रप्रभ भगवान्की कृष्ण पाषाणकी यह २ फुट ८ इंच ऊंची मा संवत् १९३५ में प्रतिष्ठित की गयी। इसके इधर-उधर दोनों ओर दो वेदियाँ हैं जिनमें चन्द्रप्रभ और आदिनाथकी श्वेत पाषाणकी प्रतिमाएं विराजमान हैं।
३०. चन्द्रप्रभ मन्दिर-यह प्रतिमा श्वेतवर्ण और पद्मासन है। १ फुट ऊँची है और संवत् १९०३ में इसकी प्रतिष्ठा हुई। ____ ३१. अरहनाथ मन्दिर-यह श्वेतवर्ण पद्मासन प्रतिमा १ फुट २ इंच उन्नत है तथा संवत् १५४८ में प्रतिष्ठित हुई है। ___३२. नेमिनाथ मन्दिर-भगवान् नेमिनाथकी यह मूर्ति कृष्णवर्ण, पद्मासन और १ फुट २ इंच ऊंची है। इसकी प्रतिष्ठा संवत् १९५२ में हुई। इस मूर्तिके दोनों पार्योंमें चन्द्रप्रभ और श्रेयांसनाथकी श्वेतवर्ण मूर्तियाँ विराजमान हैं।
प्रतिमा संवत् १९३५ में