________________
मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थं
દા
४४. चन्द्रप्रभ मन्दिर - यह मूर्ति खड्गासन, काला-भूरा वर्णं और ५ फुट ३ इंच अवगहनावाली है । इस मूर्तिके सिरपर छत्र हैं । दोनों और चमरवाहक हैं। नीचे एक ओर यक्ष हाथ जोड़े हुए खड़ा है। दूसरी ओर वृषभपर चतुर्भुजी यक्षी आरूढ़ है । इस मन्दिरका गर्भगृह चार स्तम्भों पर आधारित है । उसके चारों ओर प्रदक्षिणा-पथ बना हुआ है । इसकी प्रतिष्ठा सकल पंचान कलेसराने संवत् १८७० में करायी थी । इसके आगे एक मन्दिरमें क्षेत्रपाल स्थापित हैं । दायीं ओर भी मढ़ियामें एक क्षेत्रपाल विराजमान हैं ।
४५. पार्श्वनाथ मन्दिर - इस मन्दिरमें पाँच वेदियाँ हैं । बायीं ओरसे (१) शान्तिनाथ - खड्गासन, कृष्णवर्णं, अवगाहना ढाई फुट । दोनों ओर चमरवाहक हैं। मूर्ति संवत् १९८२ में प्रतिष्ठित हुई तथा इसके दायें हाथका ऊपरी भाग खण्डित है । (२) पार्श्वनाथ - पद्मासन, हल्का कत्थई वर्णं, संवत् ११६३ की प्रतिष्ठित । (३) पार्श्वनाथ – खड्गासन, कृष्णवर्ण, अवगाहना-४ फुट । बायीं ओर चमरेन्द्र खड़ा है तथा दायीं ओर कमलासना चतुर्भुजी पद्मावती देवी । उसके हाथों में अत्र हैं । (४) नेमिनाथ- पद्मासनं, कृष्णवर्णं, सवा दो फुट आकार । संवत् १३४० में प्रतिष्ठित । (५) महावीर – खड्गासन, हल्का कत्थई वर्णं, ३ फुट अवगाहना । हाथोंसे नीचे यक्ष-यक्षी खड़े हैं । मन्दिरकी प्रतिष्ठा झाँसीवाले सिंघई अछरमलने करायी ।
४६. नेमिनाथ मन्दिर - यह प्रतिमा पद्मासन, चितकबरा वर्णं और तीन फुट अवगाहनाकी है । ये वाटीवाले महाराज कहलाते हैं । प्रतिष्ठाकारक हैं सिंघई अछरमल झाँसीवाले ।
1
1
४७. आदिनाथ मन्दिर - यह प्रतिमा कायोत्सर्गासन, चितकबरे वर्णवाली और सवा छह फुट अवगाहना की है। गर्भगृह स्तम्भोंपर आधारित है । उसके चारों ओर प्रदक्षिणा-पथ बना हुआ है। इसकी प्रतिष्ठा सकल जैन पंचान, झाँसीने करायी थी ।
४८. चन्द्रप्रभ मन्दिर - यह मूर्ति खड्गासन, चितकबरे वर्णकी और साढ़े पाँच फुट अवगाहना वाली है । इस मन्दिरका गर्भगृह मण्डपनुमा है । उसके चारों ओर प्रदक्षिणा - पथ बना हुआ है | झाँसीकी जैन पंचायतने इसकी प्रतिष्ठा करायी थी ।
४९. आदिनाथ मन्दिर - भगवान् आदिनाथकी खड्गासन, चितकबरे वर्ण और ६ फुट अवगाहनावाली मूर्ति विराजमान है । स्तम्भोंपर गर्भगृह आधारित है। उसके चारों ओर प्रदक्षिणापथ निर्मित हैं । मन्दिरकी प्रतिष्ठा जैन पंचान, कटकने करायी ।
५०. विमलनाथ मन्दिर - यह मूर्ति खड्गासन है, मूँगिया वर्ण है, अवगाहना ६ फुट है । मन्दिर संवत् १८३६ में प्रतिष्ठित हुआ । इसमें गर्भगृह और अर्धमण्डप बना हुआ है ।
इसके बगलमें पत्थरकी पटियोंका बना हुआ एक लम्बा मण्डप है । कहते हैं, इसमें पहले जैन मूर्तियाँ विराजमान थीं। इसकी जीर्णं दशा देखकर मूर्तियाँ मन्दिर नं. ५० में पहुँचा दी गयीं । ५१. शान्तिनाथ मन्दिर - यह प्रतिमा खड्गासन, मूँगिया वर्णं ओर ६ फुट अवगाहना की है । मन्दिर में गर्भगृह और प्रदक्षिणा - पथ हैं ।
५२. महावीर मन्दिर - एक शिलाफलकपर भगवान् महावीरकी प्रतिमा पद्मासन, हलके कत्थई वर्णं और ढाई फुट अवगाहनावाली है । सिरके ऊपर छत्र, सिरके पीछे भामण्डल, ऊपर कोनों पर पुष्पमाल लिये हुए आकाशचारी गन्धवं दिखाई पड़ते हैं । दोनों ओर चमरवाहक खड़े हैं ।
हाथ जोड़े हुए दो भक्त दीख पड़ते हैं । इस मन्दिरमें गर्भगृह, महामण्डप और अर्धमण्डप बने हुए हैं। यह मन्दिर प्राचीन है । बाहर दालान में दो प्राचीन चरण बने हुए हैं ।
५३. नेमिनाथ मन्दिर - यह प्रतिमा कायोत्सर्गासन, मूँगिया वर्णं और पौने तीन फुट अवगाहनावाली है । यह प्रतिमा एक शिलाफलक में बनी हुई है। सिरपर छत्रत्रयी है। उसके दोनों