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भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ (इ) परिशिष्ट-१
मध्यप्रदेशके दिगम्बर जैन तीर्थोंका संक्षिप्त परिचय और उनका यात्रा मार्ग। इस भागके नक्शे भी इसीके अनुसार तैयार कराये गये हैं-सम्पूर्ण मध्यप्रदेशके तीर्थोंका एक तथा चार जनपदोंके तीथोंके चार नक्शे । ग्रन्यके अन्त में अधिकांश तीर्थक्षेत्रोंके मुख्य मन्दिरों, मूलनायक अथवा अतिशय सम्पन्न प्रतिमाओं और कलात्मक एवं पुरातात्त्विक महत्त्वके शिखरों, मूर्तियों और अन्य कला सामग्रीके चित्र दिये गये हैं।
आभार-प्रदर्शन किसी ग्रन्थके प्रणयन, उसकी साज-सज्जा और उसके लिए आवश्यक सुविधाएँ जुटाने में अनेक सहयोगी और कृपालु सज्जनोंका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग, परामर्श, आशीर्वाद और शुभेच्छाएँ काम करती है। यह प्रकाशन भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी बम्बईका है और इसका समस्त व्यय-भार उसीने वहन किया है। अतः मैं तीर्थक्षेत्र कमेटीका हृदयसे आभारी हैं। इस ग्रन्थके संयोजन, निर्देशन तथा प्रकाशनकी सारी व्यवस्था भारतको प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था भारतीय ज्ञानपीठकी ओरसे हुई है । अतः मैं उसके अध्यक्ष ख्यातनामा साहू शान्तिप्रसादजी और सुयोग्य मन्त्री बाबू लक्ष्मीचन्द्रजीका भी अत्यन्त आभारी हूँ, जिन्होंने मुझे ग्रन्थ-निर्माणके लिए सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की। इस अवसरपर ज्ञानपीठकी दिवंगत अध्यक्षा माननीया रमा रानीजीको स्मृतिसे मेरे मनःप्राण भावाभिभूत हो उठे हैं । यदि वे आज जीवित होती तो इस ग्रन्थको देखकर उन्हें कितना आह्लाद और सन्तोष होता। मैं उनके प्रति अपनी विनत श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
मैं सभी तीर्थक्षेत्रोंके मन्त्रियों और व्यवस्थापकोंके प्रति भी अपना आभार व्यक्त किये बिना नहीं रह सकता । मैं जिस क्षेत्रपर भी गया, वहाँ उन्होंने उस क्षेत्रकी आवश्यक जानकारी दी, मूर्तियों आदिका माप, चित्र और विवरण लेने के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान की।
अन्तमें मैं भारतीय ज्ञानपीठमें कार्यरत अपने मित्र डॉ. गुलाबचन्द्रजीके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करता हूँ, जिन्होंने भाषा आदिकी दृष्टिसे पाण्डुलिपिमें संशोधन-सम्पादन कर उसकी प्रेस कापी तैयार की, नक्शे तैयार कराये तथा चित्र-चयन करने आदि कार्यों में मुझे अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया।
माघ कृष्णा चतुर्दशी (ऋषभदेव-निर्वाण-दिवस) दिनांक : ३० जनवरी १९७६
-बलभद्र जैन