Book Title: Bhagwan Mahavir Ka Jivan Darshan Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Prachya VidyapithPage 30
________________ महावीर का विदेहजात्य होना और फिर गृहस्थावस्था के 30 वर्ष विदेह क्षेत्र में व्यतीत करना - ये दो ऐसे सबल प्रमाण हैं, जिनसे उनके कुण्डलपुर (नालंदा) और लछवाड़ में जन्म लेने एवं दीक्षित होने की अवधारणा निरस्त हो जाती है। श्री सीताराम राय ने महावीर के जन्मस्थान को लछवाड़ सिद्ध करने के लिए और वहीं से दीक्षित होकर कुछ ग्रामों में अपनी विहार-यात्रा करने का संकेत देते हुए उन ग्रामों के नामों की समरूपता को चूर्णि के आधार पर सिद्ध करने का प्रयत्न भी किया है, किन्तु उनके इस प्रयत्न की अपेक्षा जिन विद्वानों ने उनका जन्मस्थान वैशाली के निकट कुण्डग्राम बताया है और आवश्यकचूर्णि के माध्यम से उनके दीक्षित होने के पश्चात् ही विहार यात्रा के ग्राम का समीकरण कोल्लागसन्निवेश (वर्तमान कोल्हुआ) आदि से किया है, वह अधिक युक्तिसंगत प्रतीत होता है। कोल्लाग को सन्निवेश कहने का तात्पर्य यही है कि वह किसी बड़े नगर का उपनगर (कॉलोनी) था और यह बात वर्तमान में वैशाली के निकट उसकी अवस्थिति से बहुत स्पष्ट हो जाती है। कल्पसूत्र में उनके दीक्षास्थल का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि उन्होंने ज्ञातृखण्डवन में अशाक वृक्ष के नीचे दीक्षा स्वीकार की। इससे यह भी सिद्ध होता है कि ज्ञातृखण्डवन ज्ञातृवंशीय क्षत्रियों के अधिकार का वन क्षेत्र था और ज्ञातृवंशीय क्षत्रिय जिनका कुल लिछवी था, वैशाली के समीप ही निवास करते थे। आज भी उस क्षेत्र में जथेरिया क्षत्रियों का निवास देखा जाता है। 'जथेरिया' शब्द मूलतः ज्ञात का ही अपभ्रंश रूप है, अतः यह सिद्ध होता है कि महावीर का जन्म स्थान वैशाली के निकट कुण्डपुर ही हो सकता है। वैशाली से जो एक मुहर प्राप्त हुई है, उसमें वैशालीकुण्ड का ऐसा उल्लेख है। इससे भी यह सिद्ध होता है कि क्षत्रिय कुण्ड, ब्राह्मण कुण्ड, कोल्लाग आदि वैशाली के ही उपनगर थे। वैशाली गणतंत्र था और इन उपनगरों के नगर-प्रमुख भी राजा ही कहे जाते होंगे, अतः भगवान महावीर के पिता सिद्धार्थ को राजा मानने में कोई आपत्ति नहीं आती। पुनः, कल्पसूत्र में उन्हें राजा न कहकर मात्र क्षत्रिय कहा गया है। भगवान् महावीर का जन्मस्थान वैशाली का निकटवर्ती कुण्डग्राम ही हो सकता है, इसका एक प्रमाण यह भी है कि भगवान महावीर को सूत्रकृतांग जैसे प्राचीन आगम में (1/2/3/22) ज्ञातृपुत्र के साथ-साथ वैशालिक भी कहा गया है। उनके वैशालिक कहे जाने की सार्थकता तभी हो सकती है, जबकि उनका जन्मस्थल वैशाली के निकट हुआ। कुछ लोगों का यह तर्क कि उनके मामा अथवा नाना चेटक वैशाली के अधिपति थे अथवा माता वैशालिक थीं, इसलिये उन्हें वैशालिक कहा गया, समुचित नहीं है, क्योंकिPage Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178