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संकल्पजा हिंसा वह है, जो की जाती है, जबकि विरोधजा, उद्योगजा और आरम्भजा हिंसा, हिंसा की वे स्थितियाँ हैं, जिनमें हिंसा करनी पड़ती है। फिर भी, चाहे हिंसा की जाती हो या हिंसा करनी पड़ती हो, दोनों ही अवस्थाओं में हिंसा का संकल्प या इरादा अवश्य होता है, यह बात अलग है कि एक अवस्था में हम बिना किसी परिस्थितिगत दबाव के स्वतंत्र रूप में हिंसा का संकल्प करते हैं और दूसरे में हमें विवशता में संकल्प करना होता है। फिर भी, पहली अधिक निकृष्ट कोटि की है, क्योंकि आक्रामणात्मक है। यह अर्थदण्ड है अर्थात् अनावश्यक है। वह या तो मनोरंजन के लिए की जाती है या शासन करने के लिए या स्वाद के लिए। हिंसा का यही रूप ऐसा है, जो सबके द्वारा छोड़ा जा सकता है, क्योंकि यह हमारे जीवन जीने के लिए जरूरी नहीं है। हिंसा का दूसरा रूप, जिसमें हिंसा करनी पड़ती है, हिंसा तो है किन्तु इसे छोड़ा नहीं जा सकता, क्योंकि यह आवश्यक है, अर्थदण्ड है, जैसा कि हमने अहिंसा की संभावना के प्रसंग में देखा था। वे सभी गृहस्थ उपासक, जो अपने स्वत्वों का रक्षण करना चाहते हैं, जो जीवन जीने के लिए उद्योग और व्यवसाय में लगे हुए हैं, जो समाज, संस्कृति और राष्ट्र की सुरक्षा एवं विकास का दायित्व लिए हुए हैं, इससे नहीं बच सकते। न केवल गृहस्थ उपासक, अपितु मुनिजन भी, जो किसी धर्म, समाज एवं संस्कृति के रक्षण, विकास एवं प्रसार का दायित्व अपने ऊपर लिये हुए हैं, इस प्रकार की अपरिहार्य हिंसा से नहीं बच सकते हैं।
फिर भी, यह आवश्यक है कि हम ऐसी हिंसा को हिंसा के रूप में समझते रहें, अन्यथा हमारा करुणा का स्रोत सूख जावेगा। विवशता में चाहे हमें हिंसा करनी पड़े, किन्तु उसके प्रति आत्मग्लानि और हिंसित के प्रति करुणा की धारा सूखने नहीं पावे, अन्यथा वह हिंसा हमारे स्वभाव का अंग बन जावेगी, जैसे-कसाई बालक में। हिंसाअहिंसा के विवेक का मुख्य आधार मात्र यही नहीं है कि हमारा हृदय कषाय से मुक्त हो, किन्तु यह भी है कि हमारी संवेदनशीलता जाग्रत रहे, हृदय में दया और करुणा की धारा प्रवाहित होती रहे। हमें अहिंसा को हृदयशून्य नहीं बनाना है, क्योंकि यदि हमारी संवेदनशीलता जाग्रत बनी रही, तो निश्चय ही हम जीवन में हिंसा की मात्रा को अल्पतम करते हुए पूर्ण अहिंसा के आदर्श को उपलब्ध करेंगे, साथ ही वह हमारी अहिंसा विधायक बनकर मानव समाज में सेवा और सहयोग की गंगा भी बहा सकेगी।
साथ ही, जब अपरिहार्य बन गई दो हिंसाओं में किसी एक को चुनना अनिवार्य हो, तो हमें अल्प हिंसा को चुनना होगा, किन्तु कौनसी हिंसा अल्प हिंसा होगी? यह निर्णय