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15.
6.
- तित्थोगाली पइन्नयं (पइण्णयसुत्ताई), 621
60 पालक+155 नन्दवंश=215 बीतने पर मौर्यवंश का शासन प्रारम्भ हुआ। 14. एवं'च श्री महावीर मुलेवर्षशते, पंच पंचाशदधिके चन्द्रगुप्तोऽभवन्नृपः।
- परिशिष्टपर्व, हेमचन्द्र, सर्ग, 8/339 (जैन धर्म प्रसारक संस्था भावनगर) ज्ञातव्य है चन्द्रगुप्त मौर्य को वीर निर्वाण सं. 215 में राज्यासीन मानकर ही, वीरनिर्वाण ई.पू. 527 में माना जा सकता है, किन्तु उसे वीरनिर्वाण 155 में राज्यासीन मानने पर वीरनिर्वाण ई.पू. 467 मानना होगा। Jacobi, V. Harman - Buddhas and Mahaviras Nirvana and die politische Entwiclund Magadhas Zu Jarier Zelt. 557. Charpentier Jarl - Uttradhyanasutra, Introducing P. 13-16. अनेकान्त, वर्ष 4, किरण 10, शास्त्री ए.शान्तिराज- भगवान् महावीर के निर्वाण सम्वत् की
समालोचना। 9.
Indian Antiguary, Vol. XLVI, 1917, July 1917, Page 151-152, Swati
Publications, Delhi, 1985. 20. The journal of the Royal Asiatic Society, 1917, Vanteshvara, S.V. -
The date of Vardhamana P. 122-130. मुख्तार जुगलकिशोर- "जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश', श्री वीरशासन संघ, कलकत्ता, ई. सन् 1956, पृ. 26-56. मुनि कल्याणविजय- वीर निर्वाण संवत् और जैन कालगणना प्रकाशक क. वि. शास्त्र समिति
जालौर, वि. सं. 1987. 23. Eggermont, P.H.L. - "The year of Mahavira's Decease".
Smith, V.A. - The Jaina Stupa and other Antiquities of Mathura, Indological Book House, Delhi, 1969, P. 14. Norman K.R. - Observations on the Dates of the Jaina and the Buddh. अञ्जतरो पिखो राजामच्चो राजानं मागधं, अजातसत्तुं वेदेहिपुत्तं एतदवोच- "अयं देव, निगण्ठो नाटपुत्तो सङ्घी चेव गणी च गणाचरिय च, ञातो, यसस्सी, तित्थकरो, साधुसम्मतो बहुजनस्स, रत्तञ्जू चिरपब्बजितो, अद्धगतो, वयोअनुप्पत्तो।
- दीघनिकाय सामञफलसुत्तं, 2/1/7 27. देखें - मुनि कल्याण विजय, वीरनिर्वाण संवत् और जैन कालगणना, पृ. 4-5. 28. देखें - मुनि कल्याणविजय वीरनिर्वाण और जैन कालगणना, पृ. 1 29. देखें - दीघनिकाय, सामञफलसुत्तं, 2/2/8. 30. एवं में सुतं। एकं समयं भगवा सक्केसु विहरति वेधञा नाम सक्या तेसं अम्बवने पासादे। तेन खो