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RECENTRE
शान्त करने के लिए व्यग्र और विक्षुब्ध। आज विश्व में वैज्ञानिक तकनीक और आर्थिक समृद्धि की दृष्टि से सबसे अधिक विकसित राष्ट्र यूएसए मानसिक तनावों एवं आपराधिक प्रवृत्तियों के कारण सबसे अधिक परेशान है। इस संबंध में उसके आँकड़े चौंकाने वाले हैं। आज मनुष्य का सबसे बड़ा दुर्भाग्य तो यह है कि इस तथाकथित सभ्यता के विकास के साथ उसकी आदिम युग की एक सहज, सरल एवं स्वाभाविक जीवन-शैली भी उससे छिन गई है। आज जीवन के हर क्षेत्र में कृत्रिमता और छमों का बोलबाला है। उसके भीतर उसका ‘पशुत्व' कुलांचे भर रहा है, किन्तु बाहर से वह अपने को 'सभ्य' दिखाना चाहता है। अन्दर वासना की उद्दाम ज्वालाएँ और बाहर सच्चरित्रता और सदाशयता का छदम जीवन-यही आज के मानव-जीवन की त्रासदी है, पीड़ा है। आसक्ति, भोगलिप्सा, भय, क्रोध, स्वार्थ और कपट की दमित मूल प्रवृत्तियाँ और उनसे जनित दोषों के कारण मानवता आज भी अभिशप्त है। आज वह दोहरे संघर्ष से गुजर रही है-एक आन्तरिक और दूसरा- बाह्य। आन्तरिक संघर्षों के कारण आज उसका मानस तनावयुक्त है-विक्षुब्ध है, तो बाह्य संघर्षों के कारण सामाजिक जीवन अशान्त, अस्तव्यस्त। आज का मनुष्य परमाणु तकनीक की बारीकियों को अधिक जानता है, किन्तु एक सार्थक सामंजस्यपूर्ण जीवन के आवश्यक मूल्यों के प्रति उसका उपेक्षा भाव है। वैज्ञानिक प्रगति से समाज के पुराने मूल्य ढह चुके हैं और नये मूल्यों का सृजन अभी हो नहीं पाया है। आज हम मूल्यरिक्तता की स्थिति में जी रहे हैं और मानवता नये मूल्यों की प्रसव पीड़ा से गुजर रही है। आज हम उस कगार पर खड़े हैं, जहाँ मानव जाति का सर्वनाश हमें पुकार रहा है। देखें, इस दुःखद स्थिति में भगवान महावीर के सिद्धान्त हमारा किस तरह मार्गदर्शन कर सकते
हैं?
___वर्तमान मानव जीवन की समस्याएँ हैं- 1. मानसिक अन्तद्वंद्व, 2. सामाजिक एवं जातीय संघर्ष, 3. वैचारिक संघर्ष एवं 4. आर्थिक संघर्ष।
अब हम इन चारों समस्याओं पर भगवान् महावीर की शिक्षाओं की दृष्टि से विचार कर यह देखेंगे कि वे इन समस्याओं के समाधान के क्या उपाय हमें बताते हैं?
1. मानसिक अन्तर्द्वद्र
मनुष्य में उपस्थित राग-द्वेष की वृत्तियाँ और उनसे उत्पन्न क्रोध, मान, माया और