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की अवस्थिति विदेह क्षेत्र में बताई गई है। इस तथ्य की पुष्टि में दिगम्बर परम्परा के कुछ ग्रन्थों के सन्दर्भ श्री राजमल जैन ने प्रस्तुत किए हैं। पूज्यपाद देवनन्दी की निर्वाणभक्ति में यह उल्लेख किया है कि सिद्धार्थराजा के पुत्र ने भारत देश के विदेह कुण्डपुर में देवी प्रियकारिणी को सुखद स्वप्न दिखाए और चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को उसने उन्हें जन्म दिया। इसी प्रकार, आचार्य जिनसेन ने (नौवीं शती) हरिवंश पुराण में भारत देश के विदेह क्षेत्र के कुण्डपुर में महावीर के जन्म का उल्लेख किया है। इसी क्रम में, उत्तरपुराण के रचयिता गुणभद्र ने (विक्रम की दसवीं शताब्दी) महावीर के जन्मस्थान कुण्डपुर को भारत के विदेह क्षेत्र में अवस्थित बताया है। इसी पुराण के 75 वें सर्ग में भी 'विदेहविषयेकुण्डसंज्ञायां' पुरी के रूप में उल्लेखित किया गया है। आचार्य पुष्पदंत ने वीरजिनंदचरिउ (विक्रम की ग्यारहवीं शताब्दी) में 'वैशाली कुण्डपुरे' - ऐसा उल्लेख किया है। इससे भी ऐसा लगता है कि महावीर की जन्मस्थली कुण्डपुरी वैशाली के निकट ही रही। दामनन्दी ने (10 वीं - 11वीं शताब्दी) महावीर के जन्मस्थान कुण्डपुर को विदेह में स्थित बताया है। इसी तथ्य को असग (11 वीं शताब्दी) ने वर्द्धमान चरित्र में पुष्ट किया है। वे भी महावीर की जन्मस्थली कुण्डपुर की अवस्थिति विदेह क्षेत्र में बताते हैं । श्रीधर रचित वड्डमानचरिउ (लगभग 12 वीं शती) में भी कुण्डपुर को विदेह क्षेत्र में माना गया है। सकलकीर्त्ति ने वर्द्धमानचरित्र में कुण्डपुर को विदेह क्षेत्र में अवस्थित माना है । पुनः मुनि धर्मचन्द ने गौतमचरित्र (17वीं शताब्दी) में कुण्डपुर को भरतक्षेत्र में विदेह प्रदेश के अन्तर्गत स्वीकार किया है। इस प्रकार, हम देखते हैं कि लगभग ईसा की 5 वीं शताब्दी से लेकर 17 वीं शताब्दी तक दिगम्बर आचार्य एवं भट्टारक कुण्डपुर को विदेह क्षेत्र में ही अवस्थित मान रहे हैं। यहां हमने केवल उन्हीं संदर्भों को उल्लेखित किया है, जिनमें कुण्डपुर को स्पष्ट रूप से विदेहक्षेत्र में अवस्थित बताया गया है। महावीर के जन्मस्थल कुण्डपुर होने के तो अन्य भी कई सन्दर्भ हैं, जिनकी चर्चा श्री राजमल जैन ने की है। वस्तुतः, महावीर का जन्मस्थल विदेहक्षेत्र में स्थित वैशाली का निकटवर्ती कुण्डपुर नामक उपनगर ही रहा है।
परवर्ती साहित्य में कहीं-कहीं कुण्डपुर के कुछ उल्लेख मिलते हैं, जिनकी स्पष्ट समीक्षा श्री राजमल जैन ने की है। हम यहां कुण्डपुर और कुण्डलपुर के विवाद में नहीं पड़ना चाहते। श्वेताम्बर सन्दर्भ तो मूलतः कुण्डग्राम के ही हैं, और उसमें भी स्पष्ट रूप से क्षत्रियकुण्ड के हैं। श्वेताम्बर परम्परा में 14वीं शताब्दी में आचार्य जिनप्रभसूरि ने विविधतीर्थकल्प की रचना की थी। उन्होंने भी महावीर का जन्मस्थल कुण्डग्राम ही
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