Book Title: Bhadrabahu aur Kalpasutra Sankshipta Jain Itihas Author(s): Manikmuni Publisher: Biharilal Girilal Jaini View full book textPage 7
________________ खाते हैं किसी जीव को त्रास नहीं देते इस लिये ५२ लाख बाबाओं को जो अपमान सहना पड़ता है वह उन को नहीं सहना पड़ता इस का कारण वही तीर्थेङ्करों का शासन है जैनी रोज़ कहते हैं कि ॥ सर्वमङ्गल मांगल्यं सर्वकल्याणकारणम् । प्रधानं सर्वधर्माणां जैनंजयति शासनं ॥ इस ज़माने में जो साधु साध्वी हैं उन को महावीर प्रभुका शासन मानना पड़ताहै जो शासन महावीर प्रभुने पावापुरी जो पटना और गया के बीच में आज छोटासा ग्राम रहगया है वहां अन्तिम समय पर सुनाया और समाप्त कियाथा और मोक्षमें गये हैं अर्थातवहां इस्तिपाल राजा की एक मोहरररोंकी शाला (मकान विशेष) मेंनिर्वाण अर्थात् मनुष्य देह किंवा आठकोंके वन्धनको मुक्तकर जन्ममरणसे रहित होकर मुक्ति सिद्धि स्थानमें स्थित हुवे हैं महावीर प्रभु को आज मोक्ष गये २४४१ वर्ष हुए हैं और उनका जन्म क्षत्रियकुण्डनगर में हुआ था जहां सिद्धार्थ राजा राज्य करता था उसकी त्रिशला देवी नाम की सुशीला . रानी थी उस के एक पुत्र पहिले हुवा था जिसका नाम नन्दि वर्धन था जब दूसरा पुत्र हुआ तब उसका नाम माता पिता ने घर में सम्पदा इज्ज़तकी वृद्धि होती देखकर जिस वर्धमान नाम का उसके गर्भ में स्थित होने के समयमें रखने का संकल्प किया था वही नाम जन्मके बारवें दिनमें रखलिया किन्तु वह घाल्यावस्था में भी बड़े बहादुरों के कार्य करते थे जिस से महा वीर नाम से विशेष प्रसिद्ध हैं जैनग्रन्थ में किंवा जैनगृहों मेंPage Navigation
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