Book Title: Bhadrabahu aur Kalpasutra Sankshipta Jain Itihas
Author(s): Manikmuni
Publisher: Biharilal Girilal Jaini

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Page 22
________________ (२०) शिवप्रसाद जैनी बनारस वाले ने रायचन्द कवि के पास तैयार करा कर छपाया है उस के देखने से भी बहुत कुछ मालूम हो जाता है किन्तु जब तक विद्या के प्रमो मूल ग्रन्थ जो सरल मागधी में है वह न देखेंगे तब तक उन का विश्वास पूरा न होगा इस लिए संस्कृत का थोड़ा भी व्याकरण पढ़ने वाले उस ग्रन्थको ज़रूर देखें और मालम करें कि जनी वेदवाह्य कैसे हो सक्ते हैं ? किन्तु यह बात अवश्य है जो वेद में आज हिंसा का भाग देख कर दया प्रोमिओं को घृणा होती है ऐसे ही घृणा जनक हिंसक भाग प्रवेश होने से किसी जमाने में जैनों ने वेद अमान्य करा होगा। जैनियों में आर्य शब्द का प्रयोग ___ जो संस्कृत पढ़े हुए थे वह मांगधीके भी पंडितर्थ संसार विरक्त थे और माधुओं के नायक थे उनके साथ आर्य शब्द जोड़ा जाता था जिस का मागधी में अज्जा शब्द बनता है जितने भाचार्यों के नाम मोगधी कल्पसूत्र में भगवान् महाबीर से पीछे के हैं उन के साथ अज्जा शब्द प्रचलित है किन्तु उत्तम गुण धारण करे विना जो आय शब्द अपने साथ जोड़ देना है वह एक असमन्जस बात है और अयोग्यतासूचक है यह ध्यान रखना चाहिये। सृष्टि की उत्पत्ति न ब्रह्मा सृष्टि बनाता है न शिव संहार करता है न विष्णु पालन करता है न ब्रह्मा नाभि कमल से उत्पन्न होता है इस विषय में कल्पसूत्र साफ साफ़ बताता है कि नाभि कुल करके घर उन्हों ने जन्म लिया और लोगों को कलायें जरूरी होने के कारण सिखाई इस से ब्रह्मा कहलाने लगे और उन्होंने संसार

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