Book Title: Bhadrabahu aur Kalpasutra Sankshipta Jain Itihas
Author(s): Manikmuni
Publisher: Biharilal Girilal Jaini

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Page 32
________________ पद शुदि १-२ को जब वह चरित्र कल्पसूत्र से सुनाते थे तब महिमा होती थी थोड़े वरषसे नयी रीतिसे चैत्रशुदि १३केरोज ही महावीर के जन्म के दिन जयंती होने लगी है विद्यापचार जहां ज्यादा होता है वहां आजकल महावीर चरित्र कल्पसूत्र के अनुसार सुनाया जाता है। : महावीर का निर्वाण दिन जो कल्पसूत्र में दीवाली की रात्रि का है उस की महिमा भी सर्वत्र दीवाली के रूप से प्रचलित है मूल में लिखा है कि महावीर के मृत्यु (निर्वाण) समय थोड़ी देर तक अंधेरी काली रात्री अधिक भय दायी होने लगी वहां जो लोग उपस्थित थे उन्हों ने १८ राजाओं के साथ दीपक प्रकट किया वहाँ मूत्र है। . भाव उद्योतकारक महावीर का अभाव है तो द्रव्य उद्योत तो दीपक से करलो वहां दीपक प्रकट किये उसी के अनुसार मसाल माफक दीपक जलाने का रीवाज आज भी जैन वस्ती वाले गुजरात देश में बहुत प्रसिद्ध है। साधु समाचारी .... बारह मास साधु किस प्रकारसे रहते हैं यह सब आचारांग वगैरह सूत्रों में लिखा है परन्तु पाठ मास में वर्षा कम होती है जिस से छोटे जंतुओं की उत्पत्ति भी कम होती है और चौमासे में वर्षा ज्यादा होने से बहुत से जीवों की उत्पत्ति देखने में पानी है जैसे कि काई और कथ ए ऐसे बारीक होते हैं कि जब चले तव जीवे मालूम पड़े और स्थित होवे तो जड़ मालूम पड़े इस लिये साधु को जीवरक्षा के लिये बहुत सावधानी रखनी पड़ती है वह सब कानून कल्पसूत्र के अंतमें बताये हैं जो साधु अच्छी तरह से पढ़कर समझ कर उस पाचार का पालन करता है वह अपना और दूसरों का रक्षक होजाता

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