Book Title: Bhadrabahu aur Kalpasutra Sankshipta Jain Itihas
Author(s): Manikmuni
Publisher: Biharilal Girilal Jaini

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Page 35
________________ अशुद्धि पत्रम् । पष्ठ पंक्ति, अशुद्ध साधु ६.१८. नकाखेमि नकावमि १८ करतंपि नकरंतंपि ६. १६ .. तरसभंते ७. १३ वैीथा वैरीथा उस ने ३६ ३४६ यहांतक हुवा कि वहां तक साथ राय १० १५. बारह । ग्यारह ११ २२ ११ तस्स १२.४ १२ ८. १३ १४ संभव को सवा भभवा को प्रायः सवा हा बनाया था बताया-था: हाता १६ १५बामा २० १४%१६ मज्जा २० २४ . उन्हों चोविस मज्जो ऋषभदेव चोविसं निहि -निष्ठ ० ० mm varta बाले भेद वाले . कलश शृंगार वालश वसार, ३१ २४ - नहा .. ३२. ७ ठीक है ३० २२ , कथुए नहीं ठीक नहीं है कथुए

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