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( ३१ ) है न दूसरे जीवों को पोड़ा देता है और अपने अप्रमाद से अपने का भी वीछु सर्प वगैरह से बचा सकता है।
क्षेत्र के तेरह गुण गृहस्थ लोग चाहै तो घर में टट्टी जा सकते हैं परंतु साधु को अवश्य खुले मैदान में दूर जाना चाहिये और जहां कादव विशेष हो वहां साधु न रहे इस लिये गुरुमहाराज की आज्ञानुसार क्षेत्र के तेरह गुण देखे जो तेरह गुण वाला बत्र मिले तो यहां चौमासा. करे तेरहगुण न मिलें तो चारगुण अवश्य होने चाहिये वह वर्णन भी कल्पसूत्र में हैं।
मागधी भाषा में भद्रबाहु की विद्वत्ता - मागधीभाषा में संस्कृत के अनुसार समास आदि सब हैं जिसको देखना हो वह कल्पसूत्र को पढ़े । महावीर की माता त्रिशलादेवी चौदह स्वप्न देखती है उस में (१) सिंह, (२) हाथी, (३) बैल (४) लक्ष्मीदेवो (५) फूलों की दोमाला (६) सूर्य (७) चंद्रपा (८) सरोवर (8) समुद्र (१०) वालश (११) देवविमान (१२) रत्नराशि (१३) अग्निविनाधूम (१४) ध्वज इनका जहां वर्णन है वह सब पढ़जाना चाहिये क्योंकि एक लक्ष्मी देवी के वर्णन में जो निर्दोष व सार रस भरा है वह अद्वितीय है।
आश्चर्य । जो वस्तु जिस समय में नहीं होती है और वह विना किये उस समय में स्वाभाविक होवे तो लोग उसे माश्चर्य कहते हैं इन्द्रनाल में जो दृश्य मंत्रवादी दिखाता है और दृष्टि खेचलेता है वह माश्चर्य नहा हैं किंतु सच्ची बात स्वाभाविक रीति से विरुद्धता को प्राप्त होवे तो वह आश्चर्य कहाता है।
कल्पसूत्र में दश भावों का वर्णन पाता है उसका वर्णन