Book Title: Bhadrabahu aur Kalpasutra Sankshipta Jain Itihas
Author(s): Manikmuni
Publisher: Biharilal Girilal Jaini

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Page 29
________________ (20) कल्पसूत्र में बौध का नाम भी नहीं है कल्पसूत्रमें बौध की बात बिलकुल नहीं हैं जिससे मालूम होता है कि जैनों का उनके साथ कुछ संबंध नहीं अपिंच उस समय बुद्ध किंवा उनके अनुयायी कुछ गिनती में भी न थे सिर्फ दो धर्म चल रहे थे एक वैदिक दूसरा जैन क्यों कि महावीरका चरित्र जो कल्पसूत्र में है उस में वैदिक ब्राह्मण और वेद की बहुत चर्चा है और जैनी खास कर बहुत बातो में उन से मिलते थे केवल हिंसक यज्ञ से कुछ विरोध था । बौध का समाधान भारत वर्ष में अशोक राजा हुआ वह मगध देश में राज्य करने वाला चंद्रगुप्त का वंशज था वह पहिले वैदिकयज्ञ करने वाला ब्राह्मण था पीछे जैनी हुआ और अंतमें बौधके साधु के पास बौधानुयायी हुआ और समताभाव सब पक्षों पर धारण कर विद्या प्रेम से बौधधर्म से दुनिया भर को लाभ पहुंचाया जिससे बौध धर्म की महिमा भी बढगई कल्पसूत्र में बौधका नाम भी नहीं है यह पता अशोक के लेखके बौध की पाली भाषा में होने से लगा है और यह नहीं जानने वाले भ्रम में पड़ते हैं । * दिगंबर जो दिगंबर भाई इमसे, किसी विषय में भिन्नता तात्विक दृष्टिसे बाहरी रखते हैं वह कल्पसूत्र अक्षरशः पढेंगे तो ज्ञात होगा कि दिगंबर का भी नाम उसमें नहीं हैन श्वेतांबर का नाम है इससे ज्ञात होता है कि भगवान् के निर्वाण बाद ६८० वर्ष तक दिगंबर श्वेतांवर का झगड़ा प्रकट न था धीरे धीरे ज्ञान घटने से स्वार्थमिय किंवा अज्ञान अंधकार से घेरे हुए बीचले लोगों ने महाबीर के निर्दोष धर्म में शंकास्पद स्थान बना दिया

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