Book Title: Bhadrabahu aur Kalpasutra Sankshipta Jain Itihas
Author(s): Manikmuni
Publisher: Biharilal Girilal Jaini

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Page 27
________________ ( २५ ) भी बनाली है तो भी ऐसा ख्याल न करना कि जैनी सूत्र सब मागधो में ही हैं किंतु एक बारवां श्रंग दृष्टिवाद जो सबसे बड़ा है उस में एक भाग में चौदह पूर व हैं वह दृष्टिवाद सब से बड़ा ग्रन्थ संस्कृत में है किंतु वह बड़ा होनेसे श्राचार्येने नहीं लिखाथा थोड़ा सा भाग मागधी में उद्धृत किया जो आज कल्पसूत्र है किन्तु यह भी मागधी में इस लिये लिखा कि मंद बुद्धि वाले भी शीघ्र उसे समझ लेवें । भद्रबाहु ने एक ज्योतिष ग्रन्थ भी बनाया है वह भद्रबाहुसंहिता नाम से प्रसिद्ध है भद्रबाहु विशेष कर नेपाल देश में रहते थे वहां का राजा जैनी था और नेपाल देश पहाड़ पर होने से चमत्कारी विद्यायें प्राप्त करने को और समाधि करने का अच्छा स्थान था । उन के पास श्रीसंघने ५०० साधु पूर्व विद्या पढ़ने के लिये भेजे थे उनमें से केवल एक स्थूलभद्र को छोड़ कर शेष सब शिष्य क्रम क्रम से लौट गये और स्थूलिभद्र ही पूरे पढ़े थे उस समय नंद नाम का जैनी राजा पटने में राज्य करता था वह वररुचि ब्राह्मण जिसकी बातें मुद्रा राक्षस में लिखी हैं, उस पर जैनशास्त्र का अधिक प्रकाश पड़ा था उस वररुचि विद्वान् ब्राह्मण का नंद राजा के मन्त्री शकटार ब्राह्मण के साथ झगड़ा हुआ था और राजा ने उस का खून करवाया था उस के दो पुत्र थे एक स्थूलभद्र वह बड़ा था उस ने बाप की प्रधान पदवी मिलने पर भी इनकार किया कि मैं ऐसे संसार में नहीं फरूंगा जिस में आज गंज्याधिकार मिले और कल खून डो वह साधु हो गया श्रीयक छोट े भाई को प्रधान की पदवी मिली शकटार के सात पुत्री थीं वह सातों भी पढ़ी हुई थीं और चाहतीं तो उसका सभा में मान भंग करसकर्ती परन्तु वे सातों

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