Book Title: Bhadrabahu aur Kalpasutra Sankshipta Jain Itihas
Author(s): Manikmuni
Publisher: Biharilal Girilal Jaini

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Page 20
________________ ( १८ ) प्र इक्ष्वाकु सूर्यवंश चन्द्रवंश कितने लोग कहते हैं कि अमुक वंशकी उत्पत्ति अमुकदेव से हुई है यह जैनी नहीं मानते क्योंकि ईक्ष्वाकु वंश की उत्पत्ति ऋषभदेव के समय में हुई है और उनके पुत्र सूर्य यशसे सूर्यवंशीहुए हैं और चन्द्रयशसे चन्द्रवंशीहुए सार यह है कि कल्पसूत्रका जब तक पूरा प्रचार आमलोगों में न होवेगा और अपनाही ग्रन्थ मानकर जब तक वैदिक ब्राह्मण न देखेंगे तब तक उन को अंग्रेज़ों के अनुमानपर ही जो सत्य असत्य बात वे कहते हैं अथवा पौराणिक ब्राह्मणों के पुराणों के अलङ्कार के गर्योों पर ही आधार रखना पड़ेगा । जैनियों का प्रलयकाल सत्य, द्वापर, त्र ेता,कलि इस प्रकार चारयुग जैनेतर लोग मानते हैं ऐसेही जैनी बारह भारे का एक चक्र मानते हैं जब ऋषभदेव हुए थे वह तीसरे यारेका समय था जब महाबीर हुवे हैं वहचौथे आरेका समयथा जबद्माचार्य भद्रबाहु हुवे हैं वहपांचवे मारेका समय है छठे आरेके समय में पृथिवीका प्रलय होगा और २१००० वर्ष ऐसाही रहेगा फिर धीरे धीरे पृथ्वी आबाद होगी और फिर तीर्थंकर होंगे फिर धर्मोपदेश शुरू होगा जैनियों में एक और विशेषता है कि जैसे और लोग प्रलय में सब चीजों का नाश मानते हैं इस प्रकार जैनियों के यहां प्रलय में सर्वथा किसी चीज का नाश नहीं होता किंतु वीज मात्र सब रहते हैं और अनुकूल संयोग मिलनेसे फिर वृद्धि होती है जो लोग आज कल वानर से मनुष्य की उत्पत्ति मानते हैं अथवा विना माता

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