Book Title: Bhadrabahu aur Kalpasutra Sankshipta Jain Itihas
Author(s): Manikmuni
Publisher: Biharilal Girilal Jaini

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Page 17
________________ (१५ ) ऋषभदेव का समय पूर्व में बताया है कि १ कोड़ाक्रोडि सागरोपम में ४२००० वर्ष कम वर्ष पहिले ऋषभदेव मोसमें गये हैं प्रथम राजा प्रथम शिक्षक प्रथम विवाह प्रचलित करने वाले प्रथम साधु प्रथप कैवल्य ज्ञान पाने वाले वह थे इसी से आदिनाथ नाम से भी प्रसिद्ध हैं भारत में जो पहिली नगरी बसीहै वह भी बिनीता नगरीथी जो आज अयोध्या नाम से प्रसिद्ध है वह अयोध्या नगरी उन्हों ने हा बसाई थी और उस के बसाने में देवोंने सहायता की थी और उसके पहिले जो मनुष्य थे उनको युगलिक कहते थे भारतवर्ष में उन युगलिक मनुष्यों को खोने के लिये बनस्पति (पडों) में सब पदार्थ उनके योग्य मिलजाते थे उस से उन वृनों का नाम कल्पन कहा जाता था। उन युगलिकों में क्लेश बम होने के कारण और का . मांधता तथा मोह दृष्टि न होने के कारण दूसरे की औरत सामने देखने का भी शक न था एक मातापिताओं के एक युगलिक (दो बच्चे) साथ जन्म लेनेथे वह ही योग्य समय पर संबंध करते थे ऋषभबके समय काल पलटने से लोगों की मति भ्रष्ट हुई तृष्णा बढ़ो और आपस में क्लेश होने लगा तब वे सब मिलकर ऋषभावके बाप नाभिकुलकरके पास गये और कहाकि हमारे लियेएक राजा बना ओ नाभिकुलकर ने ऋषभदेवको राज्यासन पर बैठा दियो । उस ऋषभदेव ने राज्यासन पर बैठकर विवाह का रिवाज शुरू किया और कलाएं भी वनाई वह सब अधिकार कल्पसूत्र में है लिखने की लिपिए . व्याकरण काव्य अलंकार कोश सब उन्होंने वनाये इससे उनको प्रजापति

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