Book Title: Bhadrabahu aur Kalpasutra Sankshipta Jain Itihas
Author(s): Manikmuni
Publisher: Biharilal Girilal Jaini

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Page 6
________________ ( ४ ) आठ दिन तक पर्युषण पर्व की महिमा होती है उस पर्युपणा पर्व में यह कल्पसूत्र सुनाया जाता है वैदिक चर्चा आने से विद्वान् ब्राह्मण भी सुनते हैं ॥ कल्पसूत्र में क्या विषय है साधुओं को उपदेश देने वाले तीर्थङ्कर होते हैं वे इस भरत क्षेत्र में आरे में २४ थे वे पूर्व में अनन्त हुए हैं और भविष्य में अनन्त होंगे किन्तु वर्तमान काल के २४ तीर्थंङ्कर हुए हैं उन के नाम नीचे लिखे हैं । १ ऋषभदेव, [जिन को आदिनाथ ऋषभदेव भी कहते हैं) २ अजितनाथ, ३ सम्भवनाथ, ४ अभिनन्दन, ५ सुमतिनाथ, ६ पद्मप्रभु, ७ सुपार्श्वनाथ ८ चन्द्रप्रभु, ६ सुविधिनाथ ( पुष्पदन्त ) १० शीतल नाथ १९ श्रेयांसनाथ १२ वासुपूज्य १३ विमलनाथ १४ अनन्तनाथ १५ धर्मनाथ १६ शांति नाथ, १७ कुन्थुनाथ, १८ अरनाथ, १६ मल्लीनाथ, ३० मुनिसुव्रत, २१ नमिनाथ ३१ नेमिनाथ ( अरिष्टनेमि ] २३ पार्श्वनाथ, २४ महाबीर, । इस को वर्धमान भी कहते हैं इन २४ तीर्थङ्करों के बीच में जो अन्तर है वह उस कल्पसूत्र में बताया है और २४ तीर्थङ्करों का संक्षिप्त चरित्र भी उस में वर्णन किया गया है । जैसे राज्यके नियम (कानून) प्रजा के लिये हैं इसी प्रकार साधुओं के लिये भी नियम (कायदे ) हैं उन नियमों के अनुसार चलने से साधु के सदाचार की रक्षा होती है आज जैनेतर किंवा स्वयम् जैनियों में जैन साधुओं की विशेष मान्यता है और लोग उन की बड़ी इज्जत करते हैं क्योंकि वे पैदल फिरते हैं रोटी मांग कर

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