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दिन प्रातःकाल के समय सबसे बड़े इन्द्रभूति जी को कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ है कैवल्यज्ञानी शिष्य परम्परा की खटपटमें कम पड़ते हैं यदि कोई शिष्य होता भी है तो उपदेश देकर स्थिविरों को देदेते हैं इस लिये गौतम इन्द्रभूति जी ने शिष्य परम्परा नहीं ली थी।
स्थिविर की व्याख्या (१) ६० वर्षकी अवस्था वाला वयःस्थिविर कहा जाता है।
(२) जिसको दीक्षा लिये २० वर्ष हो जाते हैं वह चारित्र्य पर्याय स्थिविर कहा जाता है। । (३) सब सूत्र सिद्धान्त ६ दर्शन को पठन करके जो पण्डित हुआ है वह ज्ञानस्थिविर कहा जाता है।
इन तीनों प्रकार के स्थिविरों में ज्ञान स्थिविर चाहे अवस्था में छोटा हो किन्तु ज्ञान स्थिविर श्रुतज्ञानी ही को वह अधिकार मिलता है। ___ सुधर्मा स्वामी ने महावीर प्रभु के समीप उपदेश सुन कर उस ग्रन्थकी रचना की थी जो आगम नामसे प्रसिद्ध है पाक्षिक सूत्र में उन सबके नाम हैं उनको चतुर्दशी के दिन प्रत्येक साधु गुरु के सम्मुख उच्चारण करता है और उनके पढ़ने में यदि प्रमाद होजाता है तो क्षमा मांगनी पड़ती है सार यह हुवा कि अपनी योग्यतानुसार सब साधु शिष्यों को उस ग्रन्थ के पढ़ने की आवश्यकता है।
आगमों में आचारांग वगैरह ११ अंग हैं उसमें अंतिम अंग दृष्टिवाद है उसमें चोदह पर्वभी शामिल हैं उन पर्यों में से और