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( १२ ) दशाश्रुत स्कन्धमें से कल्पसूत्र का भद्रबाहूजी ने उद्धार किया है
सुधा स्वामी के शिष्य जंबु स्वामी हुए वह बाल काल से ब्रह्मचारी होनेके कारण अधिक प्रख्यात हैं । उस समयतक कैवल्य ज्ञान रहा था तथा उन के बाद संभव स्वामी हुवे उन के बाद शय्यंभव सूरि और उन के वाद यशोभद्र सूरि उन के बाद संभूतिषिजय उनके बाद भद्रबाह हुए यहांतक संपूर्ण श्रुत ज्ञान रहाथातथा सिद्धांत ग्रन्थों के बल से सब अधिकार वे कहसक्त थे भद्रबाहू ने कल्पसूत्र की रचनाकी है जिससे वह सर्वमान्य हैं उन को सवा दो हजार वर्ष होगये हैं तो भी इस की.भाषा में फेर फोर नहीं हुआ है और भाषा इतनी सरल है कि आज संस्कृत व्याकरणका ज्ञाता उसको भली भांति समझ सकता है उसको पहिला सूत्र नवकार मंत्र के बाद यह है । " तेणं कालणं तेणं समयणं समणे भगवन् महावीरे पंच हत्थुत्तरे होत्थ
अर्थात् वीर प्रभुकी पांच मुख्य बातें जिसके हस्तनक्षत्र अनन्तर है उस उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुई थीं। च्यवन, गर्भापहार, जन्म, दीक्षा, कैवल्यज्ञान । और स्वाति नक्षत्र में मोक्ष हुआ है वह दूसरे सूत्रमें है। ___कन्पसूत्र मूल भी छपा है भीम सिंह माणिक बम्बई भात बाज़ार में मिलता है मू० १) एक रुपया है और देवचन्द लाल भाई के ज्ञानोत्तेजक फन्ड से छपा हुआ मिलता है और प्रत्येक साधु के पास किंवा प्रत्येक भंडारमें कल्पसूत्र की लिखी हुई मति रहती है उस में सुनेरी चित्र भी होते हैं और मुनेरी स्याही से लिखी हुई सारी प्रति भी देखने में भाती है।।