________________
[ ५६ ]
मल से उत्पन्न हुए मल को उत्पन्न करने वाले तथा जिससे मल झरता रहता है ऐसे अपवित्र दुर्गन्धित भयानक देह को देखता हुआ जो काम से विरक्त रहता है वह ब्रह्मचारी है। .
किसी भी शरीर को देख कर यदि मनोज्ञपने का विकल्प हो तब शरीर की मलीनता सोचने लगा।
१४-३१३. झ) यदि पापनिरोधोन्यसंपदा कि प्रयोजनम् । अथ पापाअवोऽस्त्यन्यत्संपदा कि प्रयोजनम् ॥
श्री समंतभद्र। यदि पाप का अन्न समाप्त होगया तब अन्य संपत्ति से क्या प्रयोजन रहा और यदि पापों का अओनी रहा तब अन्य संपत्ति से क्या लाभ है ? पार का परिणाम न हो इस हो में सुख माना।
निम्नलिखित प्राचार्योपदेशों को अपने में घटाते हुए वतलाई हुई विधि का आचरण करो:१५-३२०. एकोऽहं निर्ममः शुद्धो ज्ञानो योगीन्द्रगोचरः। व हयाः सयोगजा भावा मत्ताः सर्वेऽपि सर्वथा ।।
श्रीपूज्यपाद।