Book Title: Atma Sambodhan
Author(s): Manohar Maharaj
Publisher: Sahajanand Satsang Seva Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 308
________________ २६५ ] [ क्यों कि वह राग को साधन हो सकता। २३-३३८ परिचय बढ़ाना शांतिमार्ग नही अतः किसी से विशेष वृत्तमत पूछो और न अधिक समय तक एक स्थान पर रहो, परस्थितिवश यदि एक स्थान पर रहने का प्रसंग आवे तो अपने ध्यान, स्वाध्याय व्रताचरण से विशेष प्रयोजन रखो हाँ सार्वजनिक शास्त्र प्रवचन एक बार करते रहो जिससे स्वदृष्टि निर्मल हो और अन्य को भी लाभ होसके । २४-४५१. मनोहर ! पहली जैसी स्थिति पर आ जावो, जिसे तुम तरक्की समझते वह तो थोखा रहा, फिरसे पाटी पड़ो। २५-२५२. किसी सामाजिक संस्था का (जिसमें आर्थिक संझट हो) सदस्यत्व व पदाधिकार स्वीकृत नहीं करना ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334