Book Title: Atma Sambodhan
Author(s): Manohar Maharaj
Publisher: Sahajanand Satsang Seva Samiti

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Page 324
________________ [ २८१ ] ६१ शान्ति १-८. पर द्रव्य के संसर्ग के त्याग में शान्ति और सुख है। ॐ ॐ २-५३. विरोध मिटने में शान्ति है, विरोध से शान्ति नहीं हो सकती, हम विरोध करके शान्ति चाहते ! इतना तो ठीक है जो हम शान्ति चाहते हैं, पर वह विरोध दूर करने से मिलेगी न कि विरोध रखने से। ३=१६२. पदार्थ के भोग या संयोग में शान्ति नहीं किन्तु उस काल में स्वरसतः जो इच्छा का अभाव रहता वह शान्ति का मूल है, जिनके सदा भोग संयोग के बिना ही इच्छा का अभाव रहता है सत्य सुख तो उन्हीं शान्त पुरुषों के है। ॐ ॐ ॐ . ४-१६७. मैं शान्त हूं ऐसा दुनियाँ को बताने की या समझाने की चेष्टा मत करो क्योंकि शान्तिप्रदर्शन भी

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