Book Title: Atma Sambodhan
Author(s): Manohar Maharaj
Publisher: Sahajanand Satsang Seva Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 328
________________ [ २८५ ] ६२ शरण १-११७, स्वभाववृत्त आत्मा आत्मा का रक्षक है और विभावप्रवृत्त आत्मा आत्मा का घातक है । 55 २-१३२, पर पदार्थ से अपने को सशरण मानना अपने को शरण करना है । फ्र ॐ फ ३ - १३३, पर पदार्थ से अपने को अशरण मानना अपने को सशरण करना है । 1 फ्र फ्र ४-२४६, जहाँ तक शरण का प्रश्न है तेरे क्षमादि परिणामां को छोड़ कर अन्य कुछ भी जगत में शरण नहीं | फ्रॐ फ्र ५-२५७. आत्मन् ! तुझ पर तू ही कृपा कर सकता अतः अपनी ही दृष्टि में भला बनने का प्रयत्न करके अपने में प्रसाद पा । ॐ ॐ फ्र ६ - २५८. अन्य आत्मा तुझ पर कुछ भी कृपा नहीं कर į

Loading...

Page Navigation
1 ... 326 327 328 329 330 331 332 333 334