Book Title: Atma Sambodhan
Author(s): Manohar Maharaj
Publisher: Sahajanand Satsang Seva Samiti

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Page 319
________________ . [ २७६ ] ५६ क्षमा काomp १-७४०. कोई कैसा ही कटु शब्द कहे तुम उसका उत्तर मीठे शब्दों में हित रूप दो।। २-७४६. अपराधी पर क्षमा ही धारण करो, बदला लेने का ध्यान छोड़कर उसके हित की ही भावना करा, इस वृत्ति से आलौकिक आनन्द पावोगे । ॥ ॐ ॐ ३-७८८. अच्छा-क्षमा न करो तो किसका बिगाड़ है ? क्रोध की अग्नि से नो...तुम ही अन्दर (आत्मा में) जलोगे । क्षमा से दूर क्षण भर भी न रहो। ४-८६५. क्षमावान् पुरुष स्वप्न में भी अपकारी का भी अकल्याण नहीं चाहता। ॥ ॐ ॥ ५-८६६. किसी ने अपराध भी किया हो फिर भी तत्त्वज्ञान

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