Book Title: Aradhanapataka me Samadhimaran ki Avadharna
Author(s): Pratibhashreeji, Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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प्राचीनाचार्य विरचित आराधनापताका में समाधिमरण की अवधारणा का समालोचनात्मक अध्ययन
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की है। चूंकि हमारे समीक्ष्य ग्रन्थ प्राचीनाचार्य विरचित आराधना-पताका में ऐसा कोई उल्लेख नहीं मिलता है। फिर भी हमने यहाँ दिगम्बर-ग्रन्थ भगवती-आराधना तथा श्वेताम्बर-ग्रन्थ निशीथचूर्णि आदि के आधार पर यह चर्चा प्रस्तुत कर दी है। परवर्ती ग्रन्थ आचार दिनकर (14वीं शताब्दी) में भी इस समय साधुओं को क्या-क्या क्रिया करनी चाहिए, इसकी भी पूरी विधि दी गई है। इसके अनुसार मृतदेह को उपाश्रय में ही गृहस्थों के समक्ष विसर्जित कर दी जाती है और फिर वे उसका अग्नि-संस्कार आदि करते हैं।
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