Book Title: Anuttaropapatikdasha Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रथम वर्ग - प्रथम अध्ययन - दीक्षा, तपाराधना और अनशन
भावार्थ - छठे मास में छह-छह का निरन्तर तप करना । सत्तमं मासं सोलसमं सोलसमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दियद्वाणुक्कुडुए सूराभिमुहे, आयावणभूमीए आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेण य ।
भावार्थ - सातवें मास में सात-सात का तप करना ।
अमं मासं अट्ठारसमं अट्ठारसमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दियद्वाणुक्कुडुए सूराभिमुहे, आयावणभूमीए आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडे ।
भावार्थ - आठवें मास में आठ-आठ का निरन्तर तप करना ।
नवमं मासं वीसइमं वीसइमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दियद्वाणुक्कुडुए सूराभिमुहे, आयावणभूमीए आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेण य
भावार्थ - नौवें मास में नौ-नौ की तपस्या निरन्तर करना ।
दसमं मासं बावीसाए बावीसइमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दियद्वाणुक्कुडुए सूराभिमुहे, आयावणभूमीए आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेण य ।
भावार्थ - दसवें मास में दस-दस की तपस्या निरन्तर करना ।
एकारसमं मासं चउवीसाय चउवीसइमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं • दियाणुक्कुडुए सूराभिमुहे, आयावणभूमीए आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाडे य
भावार्थ - ग्यारहवें मास में ग्यारह - ग्यारह की तपस्या करना ।
बारसमं मासं छव्वीसाए छव्वीसइमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दियद्वाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए, आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेण य ।
भावार्थ - बारहवें मास में बारह बारह की तपस्या करना ।
तेरसमं मासं अट्ठावीसाए अट्ठावीसइमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं
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