Book Title: Anuttaropapatikdasha Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 48
________________ तृतीय वर्ग प्रथम अध्ययन धन्यकुमार की दीक्षा je aje aje aje aje ale aje aje aje je aje je je aje je aje ale ale aje aje ale aje ale aje aje je ajje ajje je je aj je sje - Jain Education International ३१ उनकी पर्युपासना करने के फल का तो कहना ही क्या ? इस प्रकार चिंतन कर जिस भाव और भक्ति से जमाली भगवान् को वंदन करने के लिये गया उसी प्रकार धन्यकुमार भी गया । अंतर इतना है कि जमाली रथ में बैठ कर भगवान् को वंदन करने गया था जब कि धन्यकुमार अनेक वाहनों के होते हुए भी पैदल ही बिना किसी वाहन के गया। वहां जाकर उन्होंने भगवान् को विधि वन्दन नमस्कार किया तथा धर्मदेशना श्रवण करने के लिये बैठे। भगवान् ने विशाल धर्मसभा को धर्मदेशना फरमाई। ********* - तदनन्तर भगवान् ने धन्यकुमार को संबोधित कर कहा ' हे धन्य ! अत्यधिक रत्नों की खानों से परिपूर्ण रोहणाचल पर्वत के समान समस्त गुणों की खान, स्वर्ग तथा मोक्ष सुखों को देने वाला यह मनुष्य जन्म अत्यंत दुर्लभ है। हे देवानुप्रिय ! अनन्तानन्त दुःखों को सहन करते हुए तथा बार-बार पुद्गल परावर्त करते हुए तुमने किसी विशिष्ट पुण्य प्रकृति के उदय से धर्मानुष्ठान करने का मनुष्य भव रूपी यह स्वर्णावसर प्राप्त किया है। ऐसा सुअवसर पुनः प्राप्त होना मुश्किल है क्योंकि - १. मनुष्य जन्म २. आर्य क्षेत्र ३. उत्तम कुल ४. दीर्घ आयुष्य ५. समस्त इन्द्रियों का पूर्ण होना ६. शरीर का नीरोग होना ७. संत समागम ८. शास्त्र श्रवण ६. सम्यक् श्रद्धा और १०. धर्मकार्य में पुरुषार्थ ये दश मोक्ष के साधन जीव को अत्यंत कठिनता से प्राप्त होते हैं। - हे देवानुप्रिय ! जो मानव इस देव दुर्लभ मनुष्य जन्म को प्राप्त कर अपने आत्मकल्याण के लिए मोक्ष मार्ग का आश्रय नहीं लेता है वह मानो अपनी अंजलि में आये हुए अमृत को गिरा कर विष पीना चाहता है । समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने वाले अनमोल चिंतामणि रत्न को छोड़कर पत्थर के टुकड़े को ग्रहण करना चाहता है। ऐरावत हाथी को छोड़कर गधे पर चढ़ना चाहता है। सर्व अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाले कल्पवृक्ष को उखाड़ कर बबूल बना है। पारसमणि देकर बदले में पत्थर के टुकड़े को ग्रहण करना चाहता है । कस्तूरी को देकर कोयले को ग्रहण करना चाहता है। कामधेनु गाय को बेच कर बकरी खरीदना चाहता है। को छोड़ कर अंधकार ग्रहण करना चाहता है। राजहंस की निंदा कर कौए को आदर देना चाहता है। मोती को छोड़कर चिरमी लेना चाहता है। अतः क्षणमात्र के लिए सुखदायी किंतु परिणाम में • लम्बे समय तक अनंत दुःख देने वाले इन कामभोगों का त्याग कर सर्वविरति रूप चारित्र धर्म में . यत्न करना चाहिये। ' For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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