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शेष नी अध्ययन
मयालि आदि कुमारों का वर्णन एवं सेसाण वि अट्ठण्हं भाणियव्वं। णवरं सत्त धारिणि सुया वेहल्ल वेहासा चेल्लणाए। आइल्लाणं पंचण्हं सोलस वासाइं सामण्ण परियाओ, तिण्हं बारस वासाई, दोण्हं पंच वासाइं। आइल्लाणं पंचण्डं आणुपुव्वीए उववाओ विजए, वेजयंते, जयंते, अपराजिए, सव्वट्ठसिद्धे दीहदंते सव्वट्ठसिद्धे, उक्कमेणं सेसा। अभओ विजए, सेसं जहा पढमे, अभयस्स णाणत्तं-रायगिहे णयरे, सेणिए राया, णंदा देवी माया, सेसं तहेव। एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते।॥१॥
॥ पढमो वग्गो समत्तो॥ कठिन शब्दार्थ - सेसाण वि - शेष, अट्ठण्हं - आठ अध्ययनों का भी, भाणियव्वंजानना चाहिये, धारिणी सुया - धारिणी के पुत्र, आइल्लाणं - आदि के, आणुपुव्वीए - अनुक्रम से, उववाओ - उत्पत्ति हुई, उक्कमेणं - उत्क्रम से, णाणत्तं - विशेषता है कि।
. भावार्थ - इसी प्रकार शेष आठ (नौ) अध्ययनों के विषय में भी जानना चाहिये। . विशेषता केवल इतनी है कि शेष कुमारों में से सात धारिणी देवी के पुत्र थे, वेहल्ल और वेहायस कुमार चेलना देवी के पुत्र थे। पहले पांच ने सोलह वर्ष तक, तीन ने बारह वर्ष तक
और दो ने पांच वर्ष तक संयम पर्याय का पालन किया था। पहले पांच कुमार क्रम से विजय, वैजयंत, जयन्त, अपराजित और सर्वार्थसिद्ध विमानों में उत्पन्न हुए और शेष कुमारों की उत्पत्ति उत्क्रम से (अपराजित, जयंत और वैजयंत में) हुई। दीर्घदंत सर्वार्थसिद्ध में और अभयकुमार विजय विमान में उत्पन्न हुए। शेष अधिकार जिस प्रकार प्रथम अध्ययन में वर्णन किया गया है, उसी प्रकार समझना चाहिये। अभयकुमार के विषय में इतनी विशेषता है कि वह राजगृह नगर में उत्पन्न हुआ था और श्रेणिक राजा तथा नंदा देवी उसके पिता-माता थे। शेष सारा वर्णन पूर्वानुसार ही है।
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