Book Title: Anuttaropapatikdasha Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 28
________________ प्रथम वर्ग - प्रथम अध्ययन - दीक्षा, तपाराधना और अनशन ११ तीसा तेत्तीसा वि य चउव्वीस छव्वीस अहवीसा य। तीसा बत्तीसा वि य सोलसमासेसु तव दिवसा॥२॥ पण्णरस दसह छ पंच चउर पंचसु य तिण्णि तिण्णि ति। .. पंचसु दो य तहा सोलसमासेसु पारणगा।।३।। अर्थ - पहले मास में पन्द्रह, दूसरे मास में बीस, तीसरे मास में चौबीस, चौथे मास में चौबीस, पांचवें मास में पच्चीस, छठे मास में चौबीस, सातवें मास में इक्कीस, आठवें मास में चौबीस, नववें मास में सत्ताईस, दसवें मास में तीस, ग्यारहवें मास में तेतीस, बारहवें मास में चौबीस, तेरहवें मास में छब्बीस, चौदहवें मास में अट्ठाईस, पन्द्रहवें मास में तीस और सोलहवें मास में बत्तीस दिन तपस्या के होते हैं। ये सब मिला कर ४०७ दिन तपस्या के होते हैं। पारणे के दिन इस प्रकार हैं - गुणरत्न-संवत्सर तप तप दिन पारणा सर्व दिन ३२/१६/१६/२ ३०१५ १५/२ २४/१२/१२/ २ ३३/११/११/११/३ ३०/१०/१०/१०/३ २७६६.३ २४८८८३ २१/७/७७३ २५/५ ५ ५ ५ ५ ५ २४|४|४|४|४|४|४६ २४|३|३ | ३ ३ ३ ३ ३ |३|८ २०२|२|२|२|२२|२|२|२|२१० । १५/१/१/१/१/१/१/१/१/१/१/१/११११/१५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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