Book Title: Anusandhan 2004 08 SrNo 29
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 28
________________ श्रीमुनीचन्द्रनाथविरचित पन्नरतिथि ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि ( भूमिका ) पडवा (एकम) थी लईने पूनम सुधीनी १५ तिथिने तेमज चन्द्रमानी १६ कळाने केन्द्र बनावीने रचायेली एक विलक्षण प्रकारनी रचना अत्रे प्रस्तुत छे. कुल १७ विभाग के 'चाल' मां पथरायेली आ रचनानुं नाम, तेनी एकमात्र उपलब्धं प्रतिना हांसियामां लखाया प्रमाणे, 'पन्नर तिथि' छे; रचनाना प्रान्ते पुष्पिकामां लखाया मुजब 'श्रीतिथकला' छे; अने कर्ताए छेल्ली चालमां लख्युं छे ते प्रमाणे 'आगमसारउधार' अथवा 'द्वादशांगसारउधार' एम नाम लागे छे. अहीं तो प्रतिना प्रत्येक पाने लखायुं छे ते नाम 'पन्नर तिथि' ज राखवामां आव्युं छे. आ रचनाना कर्तानुं नाम 'मुनीचन्द्रनाथ' उर्फे 'धर्मदत्तदेव' छे, जे जैनोना कोई मतना साधु होय तेम लागे छे. समग्र रचनामां क्यांय मन्दिर के मूर्ति परत्वे अछडतो पण उल्लेख नथी, ते जोतां तेओ श्वेताम्बर परन्तु मूर्तिपूजक नहि एवा कोई गच्छना (कदाच लोंकागच्छ) साधुजन होय तेवी कल्पना थाय छे. आ कविनी के तेमनी रचनानी नोंध 'गुजराती साहित्य कोश' तेमज 'जैन गुर्जर कविओ' मां पण मळती नथी, ते वात नोंधपात्र छे. कर्ताना समय विषे, आ ज कारणे, कोई चोक्कस विगत आपवानुं शक्य नथी. जो के रचना १८मा शतक करतां वधु जूनी न होतां तेथी अर्वाचीन होवानो सम्भव अधिक जणाय छे. आम छतां, आ मुद्दे विमर्श के ऊहापोहने अवकाश छे ज. Jain Education International समग्र रचना १५१ कडीमां पथरायेली छे. आदिना तथा अन्तना ४४ दोहराने बाद करतां बाकीनी १७ 'चाल' एक ज छन्दमां छे, जे सवैया प्रकारनो, ३० मात्रानां चरणवाळो कोई छन्द जणाय छे. भाषा मुख्यत्वे गुजराती छे, छतां तेमां हिन्दी, मारवाडी, अरबी वगेरे भाषाओनी छांट सारा प्रमाणमां जोवा मळे छे. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110