Book Title: Anusandhan 2004 08 SrNo 29
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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August-2004
पन्नर कलाना पर परमेश्वर तेहनी परज पराझी सोल कलाना निज परमेश्वर परज अनन्तमे बाजी ||१०||
तीर्थधणी जे अनंता सिधा तेहनो तेह परीवार अनादितणा जे सिध अनंता निजनिज ते निरधार । ए परिवार अनंतो सीधां सोल कलानो सरवे सत्तर कलानो स्वामी वीचें अगम निगम अभेवें ॥११॥
ए सिधसासण अलख अपारें ज्योतिलिंग मझार अवगाह अनंतो ज्योति झलामलमाहें नगर वसतारे । त्रीवली त्रीगढ तेज अनंतो सिध अनंतामांहि नवरंगो केवलनयर विराजे केवल तेथ अगाहिं ॥ १२ ॥
अलखधणी गतवरला बुझें पारनगर वसतार केवलज्ञांन कलामांहे देखें एक अनन्त अपार । लोकालोक अलोक अलोकां बुझें पार पच्छाणं मुनीचन्द्रनाथ धणी निज पाशि पारसनाथ वखाणं ||१३||
इति श्री सोडसकला श्रीसीधज्ञानेशक्तेस्वर श्रीमुनीचन्द्रनाथजीप्रकाशिते आदिअनादिकसिधपुरनगर श्रीराजलीला सोडसमीकला। इति सोलकला संपूर्णः । ज्ञानवाणी समाप्तः ॥
अथ श्री आगमविद्या केवलज्ञांनपर्जेश्वर श्रीमुनीचन्द्रनाथजीप्रकासिके सुध भौमीनीवास तथा आगमसारवांणी माहातमकथन हेतु ज्ञांनवांणी ॥
चाल:
पारसनाथ धणी परमेश्वर सिध अनादिक राजा मांहिं आदिक पार सिधा नाथ अनंत प्राजा । इण चोवीसें पारसनाथ तीर्थधणी युगराजे पारससासणमां जेह सिझें तेह धणी तेह छाजें ॥१॥
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