Book Title: Anusandhan 2004 08 SrNo 29
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 58
________________ August-2004 केवलरांणी श्रीभगवती केवलकमला च्छाजें सिधनगर रखवाली सासण केवलजोगण गाजें ॥११॥ अलख धणी जुगसाहिब साचा केवल राज करंदा करत विसंभर आदि जिणेशर पुरण राज धरंदा । शिवपुर पाटण भिस्त मदीना सिधनगरी नीरवांण मुनिचन्द्रनाथ नगरमांहि आए कीधो वास पुराणं ॥१२॥ इति श्रीपंचदशीसिधस्थांनस्थितिज्ञानेश्वर श्रीमुनीचन्द्रनाथजीप्रकाशिते श्रीनिजपर आदि अनादिक सिध ब्रह्म अनन्तअनन्तकलाराजलीलापंचदशीसिधतिथीकलाकथननन्तरः अथ श्रीषोडशकला श्रीसिधज्ञांनशक्तेस्वर श्रीमुनीचन्द्रनाथजीप्रकासिके आदिअनादिकशिवसीधपुरनगर श्रीराजलीला सोलसमीकलाहेतु नयज्ञांनवांणी : चालः सोल कला संपूरण सामी सासण राज करंदा नगरतणे विच मोहल विराजें श्रीजिनराज करंदा । सिध अनंतामांहें सामी केवलछत्रधरा जे सिध अनंता छत्रपति हे अगम केवलरीध गाजें ॥१॥ सोल कलामें अनादि अनंती सिधतणा परिवार ते निजसासण साहेब सोहें छत्रधरा निरधार । तीर्थधणीनी परज अनंती आदिक सिध अशेश राजा परजा निज निज सामी केवलराज नरेश ॥२॥ अनादिक सिध अनंतामांहें मुले विच विराजे सोलकला संपूरण सरवे सत्तर तेहनें छाजें । सोल कलानो भेद संपूरण सत्तर कलामांहें पावें अगम अगाधधणी धर राजे कोण केवल तेह गावे ॥३॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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