Book Title: Ang Sootra Gaathaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 38
________________ आगम संबंधी साहित्य अंग-सूत्रादि-अकारादि [ ए-कार ] प्रत सूत्रांक यहां ११ स. १४ उपा. १५ अंत अनु. १६ प्रश्न १७विपा. देखीए १२ भ. ९ = २२ दीप क्रमांक के लिए देखीए ८आ. ९सभा सूत्राधादि. सूत्रे. सूत्राद्य सूत्राद्यावि. सूत्रे. १० स्था. एवं तु समणा एगे ५९ * एवं पुढविजोणिएसु ९ एवं तु समणा एगे एवं बहुहिं कयपुर्व ९ एवं तु समणा एगे २०६ * एवं मए पुढे महाणुभावे ९ | एवं तु समणा एगे ५२४* एवं मत्ता महंतरं एवं तु समणा एगे ५२७ * | एवं महाकण्हावि नवरं १५ एवं तु समणुचि .८ २८४नि. एवं महाकालीवि नवरं १५ एवं ते सिस्सा दिया य ८ १८५ एवं पहासेणकण्हावि १५ Pएवं तु सेहपि अपुढधर्म ९ ५८२ * एवं रामकण्हावि नवरं १५ एवं तु सेहेवि अपुट्ठधम्मे ९ ५५२ * एवं लग्गति दुम्मेहा ८ ★ एवं तु निमंतणं लड़े ९ २०३ * एवं लोगमि ताइणा ९ एवं पकप्पिाणं ८ ५५ नि एवं विपडिवोंगे ९ एवंपि तत्थ विहरंता ८ ८६ | एवं वीरकण्हावि नवरं १५ एवं पितुसेणकण्हावि नवरं१५ २५ । एवं सर्णकुमारेवि १२ सूत्राद्यक सूत्राचादि. सूत्रे. सूत्रायः ५३ एवं सप्पणयसरउ १३ २९५* एवं समहिए भिक्खू ९ २ | एवं सम्मदिट्ठीहिवि लेस्सा संजुत्तेहिं चत्वारि १२ ८३९ | एवं सुकण्हावि णवरं १५ २१ एवं से उदाहु अणुत्तरनाणी९ १६४ * २४ एवं सेहेवि अप्पुढे ९ १६७* २३३ नि. एवामेव समणाउसो! जाब निग्ग१३४ है थो वा १३ १७ एवामेव समणाउसो! १३ ९२ २५ एसणं अओ! कण्हे वासु०१० ६९२ १३२ | एसण अओ! सेणिए १० ६९३ PIECERALA-%ECA २६६ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~ 38~

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