Book Title: Ang Sootra Gaathaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 56
________________ आगम संबंधी साहित्य अंग-सूत्रादि-अकारादि [ ज-कार ] प्रत सूत्रांक १४ उपा ८आ. ९सू. १.स्था यहा |१५ अंत देखीए ११ स. १२ म. १३ ज्ञा. C%AALEERUT अनु. १६ प्रश्न १७ विपा. दीप ॥५०॥ क्रमांक के लिए देखीए सूत्राद्यादि. सूत्रे. सूत्रायका सूत्राद्यादि. सूत्रे, सूत्राधा सूत्रायादि.. सूत्रे. सूत्राद्यकः जाणं भंते ! अट्ठमस्स १३ ८५ जइणं मते! समणणं सत्त- | जइविय णिगणे किसे चरे ९ ९७* है जइणं भंते ! चउत्थस्स १८ २० । मस्स अंगस्स १४ १८ | जइयो केइ पुच्छिज्जा ९ ५००* | जइण मंते ! छहस्स० तेणं जहणो केइ पुच्छिज्जा ९४९९७ जइ समिपंचिंदियति० महुरानाम १८ २५ जइ ताव निज्जरमओ ९ ४४नि- उववज्जति किं संखे- १२ ६९५ | जइण भते ! पंचमस्स० कोसं- जइ ते सुता लोहितपूअाई ९ ३२३० | जओ वज्जं समुप्पज्जे ८ जणवय सम्मय ठवणा बीनाम १० | जइ ते सुया वेयरणीऽभिदुग्गा९ ३०० १८ २३ जइ बेइंदिएहिंतो उव० कि जति उक्खेओ अट्ठमस्स १५ जइ णं भंते ! सक्के० पभू पज्जत्तबे० १ २ ७०३ | जति उक्खेबो सत्तमस्स | विउवित्तए ? १२ १२९ | जद मणुस्सेहितो उव० किं पाडलसंडे १८ २७ जण मैते समणेणं०२ दस सत्रिमणु० १ २ ६९७ | जति छठुस्स उक्खेवओ० १५ १२ | मस्स अंगस्स १८ २ जइ मणुस्सेहिंतो उव० कि . जति ण मते! अट्ठमस्स वग्गस्स१५ १७ जाण भंते ! समणेणं दुह- सनीमणु० १२ ७०४ | जतिणं भत! अट्ठारसमस्स १३ १४७ विवागाणं १८७ जइविय कामेहि लाविया ९ १०९० जतिण भैते! अणुत्तरो० पढ०१६ २ 'सवृत्तिक आगम REAASA सुत्ताणि ~56~

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