________________
आगम संबंधी साहित्य
अंग-सूत्रादि-अकारादि
[स-कार ]
प्रत
सूत्राक
यहां
देखीए
८आ. ९स १० स्था. १२ भ. १३ ज्ञा ॥१२६॥
%
दीप
क्रमांक के लिए देखीए
HORRORESCRECEN
सूत्राद्यादि. सूत्रे. सूत्राधका सूत्राद्यादि सूत्रे. सूत्राद्या सूत्राद्यादि. सूत्रे. सूत्राथङ्कः
१४ उपा. ला सहिओ दुक्खमत्ताए ८ १२१ | संतत्ता केसलोएण ९ १७७४ | संबुज्झमाणो उ गरे मतीम ९ ४९३ ।।
१५ अंत| संकुचियवियसिय ८१८०नि. संतरं भते! नेरइया उपवज०१२ ३७७ | संबुज्झमाणे पुणरवि ८ ७०* | संकेज्जयाऽसकितभाव मिक्व९ ६०१७ | संतरं भैते! नेरहया उववद्वृति१२ ३७१ | संबुज्झह किन बुज्झह
|१६ प्रश्न
९ ८९नि. संखाइ धम्म च वियागरंति ९ ५९७* संति पंच महन्भूया ९-७०९-१, संबुज्झहा जंतवो माणुस ९ ३९१७ | संखाय पेसलं धम्म २-२२४२४६* संति पाणा पुढो सिया ८ १५ संभवाओ णमरहातो अभि०१० ७३० | सखे जयंति पुढवि० १२ १७ | संतिम तउ आयाणा ९ ५३०संभवे पंचत्वारि धणुसया०११ १०६ संगाणं च परिणाथा ११ ५९४ | संघए साहुधम्मं च ९ ५३१७ संभूय सुभद्दसुदसणे ११ १३२७ संघाडीओ पवेसिस्सामो ८ ७८७ | सबि लोयस्स जाणिचा ८११६ | संलोकणिज्जमणगार ९२७६७ | संघायणे य परिसाडणा य ९ ७नि. संपराइयण कम्म कि नेरइयो१२३४१ । संवच्छर साहियं ८ ४५* संजतमणुस्साणं सुनाणं १० ४२२ संपरायं णियच्छति ९४१८ | संवच्छर सुविणं लक्खणं च ९ ५४३७ संजोगे सोलसग ८ २०नि संपसारी कयकिरिए ९४५२७ | संबच्छरेण भिक्खा ११ १०५* | संडासंग च फणिह९ २८८७ | संबद्ध समकप्पा उ ९ २१२७ | संवच्छरेण होहि ८ ११२७
G ॥१२६॥ | संतच्छणं नाम महाहितावं ९ ३१३७ संवाहिया दुक्कडिणो वर्णति ९ ३४४४ : संवच्छरेणावि० पाण०अणि०९ ७२१७
'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
~132~