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आगम संबंधी साहित्य
अंग-सूत्रादि-अकारादि
[व-कार + स-कार ]
स
प्रत सूत्रांक
यहां देखीए
.
२
दीप क्रमांक के लिए देखीए
८आ. ९८. सूत्राद्यादि. सूत्रे.
सूत्रायः सूत्राधादि. सूत्रे. सूत्रायः सूत्राधावि. सूत्रे. सूत्राप१४ उपा१०स्था
| विस्य भिक्सुरीयंत ८ १८४ बुज्झमाणाण पाणाणं ९ ५१९७ | वेरुलियमणिकवाडा १० १२२७४१५ अंत, MEIविरया वीरा समडिया ९ १००* बुसिए य विगयगेही ९ ८६७ | बेसमणकुंडधारी
अनु. १२म. १५वा. | विरिए छक्कं दब्बे ९ ९१नि. वेउम्बियसरीरप्पयोगबंधे थे.
सकारः
१६ प्रश्न | विसनंदी य सुबंधू ११ १३१७ कतिविहे १२ ३४७ सउणि चउप्पयं नाग ९ १२नि.
१७विपा. ॥११९॥
| बिसम पवालिणो परिण०१० ३७४ | बेतालिए नाम महाभितावे ९ ३४३७ सउणी जह पंसुगुडिया ९ १०३ विसोहियं ते अणुकाहयते ९ ५५९२ | वेषण आहार महस्सवे १२ ३७७ | सए सए उबट्ठोण | विस्सभूई पन्वयए ११ १२९* | वेयणवेयावच्च १० ४१७ सरहिं परियाएहिं ९ ६८*
विस्सरं पुण पिंगला १० ७५ | वेयालियमग्गमागओ ९ ११०० सकता पागता चेव १० ७२* | वीरितपुवस्स णं अट्ठ बत्थू १० ६२७ | वेयालिय इह देसियंति ९ ३८नि सक्कस्स अट्ठ अग्ग० १० ६१२ | वीरेहिं एवं अभिभूय दिट्ठ ८ ३४ वेयालियमि वेयालगो९ ३६नि. सक्कस्सण अभंतरपरि०
वीससापरिणयाणपोग्ग०१२ ३११ बेरग्गमप्पमाओ ८ ३४५नि | देवाणं पंच पलि०ठिती १० ४०५ ४ वीससाबंधे ण कतिविहे १२ ३४५ वेराई कुम्वई वेरी ९ ४१७* | सक्कस्स गं. बाहिरपरि०
॥१९॥ वीस असमाहिठाणा ११ २० वेराणुगिद्धे णिचयं करेति ९ ४८१ तिनि पलि० ठिती १० २००
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'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
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