Book Title: Ang Sootra Gaathaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 94
________________ आगम संबंधी अंग-सूत्रादि-अकारादि [ द-कार ] साहित्य प्रत सूत्रांक यहा ८आ. ९सू ०१स्था. ११ स. १२ भ. देखीए दीप ॥८८॥ क्रमांक के लिए देखीए ACANCERT सूत्राद्यादि. सूत्र, सूत्रायङ्कः। सूत्राद्यादि. सूत्रे. सूत्रायकः। सूत्राधादि. सूत्रे. सूत्राद्यङ्कः दुविहे तवे पनचे १२ दुहओ ण विणस्सति ९ १६* देवे ण पभू लवणसमुई १५ अंत| दुविहे दंसणे पत्ते ७० दुहओवि तेण भासंति ९ ५१७* अणुपरि० हव्वमाग०१ १२ ६३८ अनु. १६ प्रश्न । दुविहे धम्मे पन्नते दुहओवि धम्ममि समुट्ठि० ९ ७१४* देवेण० पुव्वामेव रूबी भवित्ता ४१७ विपा. | दुविहे नाणे पनचे १ दुहावेयं सुयक्खायं ९ ४११* पभू अरूवि विउवित्ताणं | दुविहे पच्चक्खाणे पं० ६२ दूर अणुपस्सिया मुणी ९ ११५* चिद्वित्तए १२ ५९८ | दुविहे बंधे पनचे ९६ देवकुरुउत्तरकुरुयाओ गं ११ ५३ । देवेणं भंते! महाकाए०अणत दुविहे सद्दे पन्नत्ते १० ८१ देवकुरु सुसमसुसमा ८ १८१नि. दुविहो अ होइ मोहो गारस्स माव्वाइवएजा.१२ ५०५ ८ १८८नि. देवनरिंदनमंसिय पूर्व १७ १४५ | दुविहो भावविमुक्खो ८ २५९नि. देवपवेसणए ण भैते! कतिविहे१२ ३७५ | देवे णं भंते! महिड्डिए० १२ ६१ | दुवे रासी पन्नचा ११ १४९ देवागंधव्वरक्खसा ९ १३ देवे पं० महिड्डिए. पभू ९३* दवण माहाङ्कए० प | दुब्बसु मुणी अणाणाए ८ १०१ | देवाणं भंते! कयराए भासाए१२ १९० - तिरियपव्वयं वा० उल्लं०१२ ५१६ | दुहओ छेत्ता नियाइ देवीण मणुईणं ८ ३५६नि- देवेणं भंते! महिड्डिए० पभू | दुहओ जीवियस्स परिवंदण०८ १२० । देवेण पभू एगवन विउ०१२ २५२ । भासासहस्सं भासिचए । १२ ५३५ ASSE%E5%% 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~94~

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