Book Title: Ang Sootra Gaathaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 115
________________ आगम संबंधी साहित्य अंग-सूत्रादि-अकारादि [भ-कार + म-कार ] प्रत सूत्रांक १४ उपा. R देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए ८आ. ९स. सूत्रायादि. सूत्रे. सूत्रायः सूत्राद्यादि. सूत्रे. सूत्राद्य सूत्राधावि. सूत्रे, सूत्राद्या भंतेत्ति से नूर्ण सेट्टियस्स४ भावे पओगवीस० ९ १४नि | भीतं दुतं रहस्स .१० ६७ १५ अंत११ स. समं चेव अपच्चखाणकि०१२ ७८ । भावे फलसाहणया ८ २४०नि. अयगा सुपगवती चेव १३ ५६० अनु. १२ म. भावे जीवस्स सीरियस्स ९ ९४नि. भूएहि न विरुज्झेज्जा | मारणं वहमाणस्स चचारि ९ ६१० १३वा..* अनः १. ३१४ भासमाणो न भासेज्जा आसासा ४१७ विपा. ९ ४६१* भूताभिसकाइ दुगुंछमाणे ९ ५९९* ॥१०॥ | मारस्स जाता मुणि मुंजएज्जा९ ४०९० | मिक्खं पविद्वेण मएउज्ज दि8८ २२८नि- भूयाई च समारंभ ९ ५१०* | भावइरिया उ दुविहा८ ३१०नि. भिक्खागा नामेगे एवमाइंसु८ २४७ | भूयाभिसकाए दगुळमा० ९ ७०९ मावणाजोगसुद्धप्पा ९ ६११५ | मिक्खागा नामेगे एव०समाणे०८ २८३ मेइयचियाउबचिया १२ ४ | भावतहं पुण नियमा ९ १२३नि. भिक्खागा नामेगे एव०समाणे ०८ २८४ भेउरसु न रज्जिज्जा ८ ३९५ | भावपरिण्णा दुविहा ८ ३५४नि. भिक्खु च खलु पुडा वा ८ २०१ | भोगकरा भोगवती १० १० | भावसमाहि चउन्विह ९ १०६नि. भिक्ख मुपच्च तह दिधम्मे९ ५७३* | भोगे अवयक्खंता.. १३ ३०* भावसमोसरणं पुण १ ११७नि. भिक्खू य अन्नयरं अकिच्च- . अथ मकार | भावे उ णिरयजीवा ९ ६३नि. द्वाणं पडिसेवित्ता १२ ३९९ । महउग्गहो य गहणुग्गहोय ८ ३२१नि. है ॥१०९॥ |मावे गइमाहारो ८ ३०नि. भीए य पलायंते ९८२नि. मच्छा य कुम्मा य सिरीसि०९ ३९५ AAAAAAE ECEREST-%Ac 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~115~

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