Book Title: Anant Sakti Ka Punj Namokar Mahamantra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 8
________________ (६) इन सभी प्राणियों में होती है लेकिन इस क्षमता को योग्यता बना देने और उसे अभीष्ट, संकल्प्य और अचिन्त्य शक्तिशाली ऊर्जा में परिणत कर देने की शक्ति किसी-किसी मानव में ही परिलक्षित होती है । ऐसे ही विरले, दृढ़ संकल्पी मानव साधक होते हैं - मंत्र - साधक । मंत्र क्या है ? अक्षरों, स्वरों और व्यंजनों तथा मातृका वर्णों का संयोजन ही तो है । लेकिन इस संयोजन में शब्द विस्फोट, शक्ति का ज्ञान, कुशलता, साधना का अनुभव, योग्यता और सूक्ष्म दृष्टि की आवश्यकता होती है । इसीलिये कहा गया है - योजकस्तत्र दुर्लभः । इन अक्षरों, वर्णों में मंत्रशक्ति तो है किन्तु उनका समुचित संयोजन करने वाला व्यक्ति दुर्लभ होता है । यही कारण है कि भारतीय साहित्य में मंत्र- द्रष्टा ऋषियों का

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