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(३४) में ऐसी ही शक्ति की अनुभूति करता है । किन्तु वह शक्ति उष्ण न होकर शीतल होती है, साधक का हृदय-'शीतल चित्त भयो जिम चन्दन'-ऐसी स्थिति पर अवस्थिति कर लेता है । इसीलिए तो नमोकार मंत्र को पौष्टिक और शान्तिक मंत्र बताया गया है ।
प्रक्रिया अब नमोकार मंत्र के एक-एक पद की साधना प्रक्रिया को समझें
पहला पद हैनमो अरिहन्ताण शब्दार्थ है-अरिहन्तों को नमस्कार हो । इस पद का जप/ध्यान ज्ञानकेन्द्र (आज्ञाचक्र-भ्रूमध्य-ललाट) पर करना चाहिए । ध्यान-चित्त की वृत्ति ज्ञान केन्द्र पर केन्द्रित हो और मन एकाग्र । इस पद का ध्यान श्वेत वर्ण में किया जाता है । अभिप्राय यह है कि उक्त पद के सातों अक्षरों की चमकीले