Book Title: Anant Sakti Ka Punj Namokar Mahamantra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 52
________________ (५०) तीन से पाँच बजे तक के समय में शोर बहुत कम हो जाता है और प्रदूषण का भी अभाव-सा हो जाता है । अतः यही समय साधना के लिए उचित माना गया है । (४) भाव शुद्धि - इसका अभिप्राय मन की शुद्धि, चित्त में विकारों, चिन्ताओं, आवेगों-संवेगों और बाह्य प्रभावों का अभाव है । मंत्र के प्रति असीम निष्ठा, दृढ़ विश्वास और श्रद्धा भी भाव -शुद्धि में परिगणित किये गये हैं । इनका सद्भाव अति आवश्यक है । इनके अभाव में या तो साधना होगी ही नहीं और यदि हुई भी तो उसमें खोखलापन रहेगा, वह दिखावटी हो जायेगी । आसन का भी साधना में महत्वपूर्ण स्थान है । साधक अपनी शारीरिक क्षमता और रुचि के अनुसार खड्गासन, सिद्धासन, पद्मासन, अर्द्धपद्मासन, पल्यंकासन, कोई

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