Book Title: Anant Sakti Ka Punj Namokar Mahamantra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 41
________________ . (३९ पद सिद्धिदायक है। ____ 'नमो सिद्धाण' पद में 'द्धा' संयुक्ताक्षर होने से यह महाप्राण दीर्घध्वनि वाला वर्ण बन गया है । इसके नाद (दीर्घ उच्चारण) से नाभिकमल, हृदय कमल, कंठ कमल, आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र तक सम्पूर्ण चक्रों में अवस्थित परमाणुओं में प्रकम्पन होता है और सबसे अधिक प्रकम्पन सहस्रार चक्र में होते हैं । सम्भवतः इसीलिए ग्रन्थकारों ने इसका ध्यान सहस्रार चक्र पर करने का निर्देश दिया है। (३) तीसरा पद-'नमो आयरियाणं आचार्य से संबधित है । इस पद द्वारा आचार्यों की अर्चना, चन्दना और उनको नमन किया गया है। __ इस पद का ध्यान विशुद्धि केन्द्र (कण्ठ स्थान) पर किया जाता है । साधना के चार सोपान हैं । वर्ण पीला (पीत) है ।

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